पोस्ते की फसल पूर्णतः नष्ट करेः मुख्य सचिव

रांची। मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी ने कहा है कि पोस्ते की खेती के खिलाफ अभियान का सकारात्मक परिणाम दीख रहा है, लेकिन पोस्ते की फसल की सौ फीसदी विनष्टीकरण सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभियान से जुड़े अधिकारी आपसी समन्वय को और मजबूत तथा कारगर करें। जितने कांड दर्ज हुए हैं, उससे कम गिरफ्तारी को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा गिरफ्तारी और उन्हें सजा दिलाने पर फोकस करें। उन्होंने विनष्टीकरण की प्रक्रिया में जरूरी संसाधनों का वास्तविक आकलन करने पर बल देते हुए कहा कि जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। कुछ जगहों पर अभी भी पोस्ते की फसल लगी होने की सूचना पर उन्होंने पोस्ते की खेती के खिलाफ अभियान को 15 मार्च तक जारी रखने का निर्देश दिया। वह शुक्रवार को पोस्ते की खेती के खिलाफ दो माह पहले अपनी अध्यक्षता में हुई बैठक में दिये गये निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा कर रही थीं।
समीक्षा के दौरान बताया गया कि पोस्ते की खेती के खिलाफ अभियान के दौरान कुल 19,086 एकड़ में लगी फसल को नष्ट किया गया है, जो पिछले कुछ वर्षों से चार गुणा अधिक है। सबसे अधिक खूंटी में 10,520 एकड़ में लगी पोस्ते की फसल को नष्ट किया गया है। दूसरे स्थान पर रांची जिला है, जहां 4624 एकड़ में लगी पोस्ते की फसल नष्ट की गई है। सबसे कम पलामू में 396 एकड़ में लगे पोस्ते के पौधे को नष्ट किया गया है। बताया गया कि कुछ जगहों पर अभी भी पोस्ते की फसल को नष्ट करना बाकी है, जहां स्पेशल ड्राइव चलाकर कार्रवाई चल रही है। गौरतलब है कि पोस्ते की खेती से झारखंड के कुल आठ जिले चतरा, खूंटी, लातेहार, रांची, पलामू,चाईबासा, सरायकेला, और हजारीबाग प्रभावित हैं।

समीक्षा के दौरान बताया गया कि पोस्ते की फसल के विनष्टीकरण के दौरान कुल 283 कांड और 958 सनहा दर्ज किये गये है। इस संदर्भ में कुल 190 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस दौरान पुलिस प्रमुख श्री अनुराग गुप्ता ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वन विभाग द्वारा पोस्ते की खेती को लेकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट को आधार बना कर संबंधित लोगों पर एफआइआर दर्ज करें। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में वन विभाग कानूनन सिर्फ अतिक्रमण का मामला दर्ज करता है, जो पोस्ते की खेती की गंभीरता को देखते हुए कमतर कार्रवाई होती है।

जन जागरूकता पर दिया बल

इस दौरान मुख्य सचिव ने एक बार फिर पोस्ते की खेती के खिलाफ जनजागरूकता पर बल दिया। उन्होंने पोस्ते की खेती को हतोत्साहित करने के लिए लोगों को फसल के अन्य विकल्पों से जोड़ने को जरूरी बताया। कहा, कुछ जगहों पर वैकल्पिक खेती से जोड़े गये लोगों द्वारा उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने पोस्ते की खेती का भौतिक सत्यापन के साथ सेटेलाइट की सहायता से भी प्रभावित क्षेत्र को चिह्नित करने का निर्देश दिया।
समीक्षा के दौरान गृह विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना डाडेल, कृषि सचिव श्री अबु बक्कर सिद्धीक, पंचायती राज विभाग के सचिव श्री विनय कुमार चौबे समेत संबंधित प्रमंडलों के आइजी, संबंधित जिलों के एसपी और डीसी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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