मुख्यमंत्री के विभाग में अराजकता चरम पर:अजय राय
रांची। झारखंड ऊर्जा विकास समिति संघ के अध्यक्ष श्री अजय राय ने टिकुर साई चाईबासा ग्रिड में विद्युत स्पर्शाघात लगने से विद्युत कर्मी मोहम्मद अहमद अंसारी के दुर्घटनाग्रस्त होने पर कहा कि सुबह के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के ऊर्जा विभाग में अराजकता अपने चरम पर है। यहां एसी कमरों में बैठकर अधिकारी चैन की रोटी खा रहे हैं वही फील्ड में काम करने वाले विद्युत कर्मी दाने-दाने को मोहताज हैं इसकी शिकायत लगातार सीएमडी एमडी जीएम स्तर पर् संघ की ओर से ज्ञापन के माध्यम से कई बार की गई मगर आज तक इस पर कहीं कोई कार्यवाही नहीं हो पाया। अजय राय ने कहा कि चाईबासा में घटे घटना को रोका जा सकता था अगर वहां काम कर रहे एजेंसी सनसिटी द्वारा इक्विपमेंट सेफ्टी के सामान दिए गए होते इसको लेकर जीएम डीजीएम स्तर पर कई बार संघ ने मांग की की विद्युत कर्मियों के काम के दौरान सेफ्टी नॉर्म्स का पालन सख्ती से हो ।
आज हुए दुर्घटना के बाद संघ ने महाप्रबंधक सःमुख्य अभियंता जोन 3 को ज्ञापन सौंपकर सनसिटी के पदाधिकारियों के ऊपर सख्त कार्रवाई की मांग की…..
ज्ञापन की प्रतिलिपि
अत्यंत दुख के साथ मान्यवर को सूचित किया जाता है की दिनांक 13/4/2022को सुबह के 8:00 बजे 132/33kv सीकुरसाई(चाईबासा) में मोहम्मद अहमदअंसारी का कार्य के दौरान विद्युत स्पर्शाघात हुआ और लगभग वह 90% जल चुके हैं आनन-फानन में उनको टीएमएच लाया गया जहां इलाजरत है ! परंतु ऐसे में सनसिटी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड जिस एजेंसी के माध्यम से मोहम्मद अहमद अंसारी काम कर रहा था वहां के पदाधिकारियों का रवैया बहुत ही दुखात्मक एवं आत्मीय आघात करने वाला रहा जो कि मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करता है। सनसिटी एजेसी के पदाधिकारी 25 बार फोन करने के बाद 2:00 बजे दोपहर को एक बार फोन उठाते हैं और कहते हैं कि इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है।
सनसिटी का कोई पदाधिकारी उस कर्मचारी का शुद्धबूध लेने नहीं गया ऐसे घटनाक्रम ना हो इसको लेकर संघ ने कई बार विभाग एवं एजेंसी को पत्राचार के माध्यम से आग्रह पूर्व में किया था कि कम से कम सेफ्टी किट और ई.एस.आई.सी कार्ड प्रत्येक कर्मचारी को अलॉट करवा दें बावजूद बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि इस पर ना ही विभाग और ना ही एजेंसी ने किसी प्रकार का कोई ध्यान दिया और अंततः जिसका डर था वही हुआ आज उस गरीब को कोई पूछने वाला नहीं जबकि एक आम इंसान अगर गलती से दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो 250000/-(ढाई लाख रुपए) मुआवजे का प्रावधान है और तो और ऐसे वक्त में एजेंसी को इलाज की पूरी जिम्मेवारी लेने की बात एग्रीमेंट के टर्म एवं कंडीशन में है। शोषण और दोहन तो इस एजेंसी का इस प्रकार है जहां 5 महीने कार्य कर 1 महीने का भुगतान मिलता है, अभी भी दरमाहा भुगतान बकाया ही है एक तो पैसे के अभाव में आदमी यूं ही मर रहा। आखिर एजेंसीकर्मी भी मानव ही है आखिर ऐसा जानवरों के जैसा व्यवहार सौतेला व्यवहार क्यों? ना ही कोई सेफ्टी किट ना ही इलाज की कोई व्यवस्था इसका मतलब यह समझा जाए गरीब इंसान कार्य करते करते मर जाए। शायद हमारी गलती यही है कि हम लोग बिना दरमाहा लिए ही इमानदारी पूर्वक अपना कार्य करते हैं।
संघ की कोर कमेटी ने बैठक कर यह निर्णय लिया की शाम तक अगर इलाज की पूर्ण व्यवस्था एजेंसी या विभाग द्वारा नहीं होती है तो संघ मजबूरीवश कभी भी हड़ताल पर जाने को बाध्य होगा। और बिना सेफ्टी किट और बिना ई.एस.आई.सी कार्ड के कर्मचारीगण कार्य करने में असमर्थ रहेंगे।
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