सीएम नीतीश कुमार बिना चूड़ा-दही खाए ही क्यों लौट आए..
पटना : बिहार में मकर संक्रांति पर दही चूडा और तिलकुट का भोज देकर राजनीति की खिचड़ी पकना प्रारंभ हो गया है। लोजपा रामविलस की पार्टी प्रमुख चिराग पासवान ने भी मकर संक्रांति पर दही चूड़ा और तिलकुट का भोज दिया। इसमे एनडीए के नेता उपस्थित हुए। सीएम नीतीश कुमार को भी इसमें निमंत्रण दिया गया था।
लेकिन, जब नीतीश कुमार एलजेपी कार्यालय पहुंचे तो वहां से चिराग पासवान निकल चुके थे। चिराग के नहीं होने से नीतीश कुमार बिना चूड़ा-दही खाए ही लौट आए. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान को नीतीश कुमार के आने की खबर नहीं थी? क्या चिराग पासवान का गायब होना महज एक संयोग था? या फिर चिराग पासवान जान बूझकर फुर्र हो गए? आखिर वह कौन सी वजह है, जिसको लेकर चिराग पासवान अब ‘फुर्रफुरा’ गए हैं?
चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच रिश्ते में कड़वाहट साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था, जब चिराग पासवान ने जेडीयू कैंडिडेट के सामने एलजेपी प्रत्याशी खड़े कर दिए थे. जेडीयू को उस चुनाव में 50 सीट भी नहीं मिल पाई. इसका नतीजा यह हुआ कि नीतीश कुमार ने खून का घूंट पीकर सीएम बनना तो मंजूर कर लिया, लेकिन वह अंदर ही एनडीए और चिराग पासवान को लेकर नाराज थे. नतीजा यह हुआ कि नीतीश कुमार महागबंधन के पाले में चले गए. सालों बाद साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश फिर से एनडीए में आए तो चिराग पासवान से दोस्ती की शुरुआत हुई।
लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के रिश्ते फिर से सामान्य होने लगे. हाल के दिनों में दोनों की कई बार मुलाकात भी हुई है. चिराग पासवान खुद और अपने नेताओं के साथ भी सीएम आवास पहुंचकर नीतीश कुमार से मिलते रहे हैं. नीतीश कुमार ने चिराग पासवान को एलजेपी कार्यालय दोबारा से वापस दिलाने में भी अहम रोल अदा किया था. पार्टी की स्थापना दिवस समारोह में नीतीश कुमार एलजेपी ऑफिस पहुंचे थे तो चिराग पासवान ने जमकर स्वागत किया. सीएम नीतीश कुमार भी रामविलास पासवान की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर काफी देर तक चिराग के साथ समय बिताया. लेकिन, 14 जनवरी को चूड़ा-दही में चिराग पासवान का गायब होना अब बड़ा सवाल खड़ा करता है?