महाकवि तुलसीदास सन्त ही नहीं एक क्रांतिकारी युग-द्रष्टा भी थे:मिथिलेश
रजरप्पा:कोयलांचल रजरप्पा क्षेत्र स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में आज सन्त तुलसीदास की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभारी मिथिलेश कुमार खन्ना एवं बचूलाल तिवारी द्वारा सन्त तुलसीदास के चित्र पर पुष्प अर्पित तथा दीप प्रज्वलित कर किया गया।उन्होंने भैया-बहनों को अपने संबोधन में कहा कि महाकवि तुलसीदास सन्त ही नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी युगद्रष्टा तथा समाजसुधारक थे। उनकी रचना रामचरितमानस जन-जन में प्रिय है। इस अवसर पर विद्यालय में तुलसीदास के जीवनी पे भाषण प्रतियोगिता हुई एवं बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया साथ ही प्रांतीय सुलेख, चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।कक्षा-द्वितीय एवं तृतीय के लिए सुलेख,चतुर्थ-पंचम के लिए चित्रकला तथा षष्ठ से द्वादश के लिए निर्धारित अलग-अलग विषयों पर निबंध प्रतियोगिता संपन्न हुई।इस प्रतियोगिता में श्रेष्ठ तीन प्रतिभागियों का चयन कर प्रांतीय स्तर की प्रतियोगिता में सम्मिलित किया जाएगा।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्या डॉ गायत्री पाठक,सिम्पल कुमारी,गायत्री कुमारी,बचूलाल तिवारी,इंद्रजीत सिंह,स्वेता पंडा, ज्योति राजहंस,आरती झा,राकेश सहाय,शशि कान्त, अनूप झा आदि की प्रमुख भूमिका रही।