सूर्य और चन्द्र की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला उत्तम फलदायक है अधिकमास
आध्यात्मिक व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण* मास अधिकमास की शुरुआत आज से हो रहा है। इस मास को मलमास व पुरुषोत्तममास के रूप में भी जाना जाता है। यह मास हरेक तीन साल में एक बार आता है। 19 जुलाई से प्रारंभ होकर 16 जुलाई तक चलने वाले इस मास में जहां विशेष रूप से पूजा, पाठ, कथा, जप-तप और योग जैसी गतिविधियां विशेष फलदायक मानी जाती हैं वहीं किसी भी शुभ कार्य को इस मास में वर्जित माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अन्य महीनों के तुलना में अधिकमास में पूजा-पाठ, जप-तप करने से 10 गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है। जहां सभी सनातनधर्मी लोग अधिक पुण्य की चाहत लिए इस मास की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं वहीं इस मास को 13 वें माह के तौर पर गिना जाता है।
अधिकमास हिन्दू पंचांग के अनुसार एक अतिरिक्त मास है, जो सूर्य व चंद्र की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह स्थिति हर तीन साल में या 32.5 महीने में आती है। विगत वर्ष अधिकमास 2020 के अश्विन मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सितंबर में मनाया गया था। किवंदती है कि इस मास में सनातन धर्म के सभी 33 कोटि देवी-देवता बिहार राज्य के राजगीर में एक मास तक निवास करते हैं!