पर्यटन और आस्था विषय पर मुक्त मंच की गोष्ठीधार्मिक स्थलों की पवित्रता को बरकरार रखा जाए : डॉ नरेन्द्र शर्मा कुसुम
जयपुर ( ओम दैया )।मुक्त मंच की मासिक गोष्ठी इस बार आस्था और पर्यटन विषय पर परमहंस योगिनी डॉ पुष्पलता गर्ग के सान्निध्य, प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ नरेन्द्र शर्मा कुसुम की अध्यक्षता और जज (रि) आरके आकोदिया के मुख्य आतिथ्य में हुई।
प्रारम्भ में शब्द संसार के अध्यक्ष श्री श्रीकृष्ण शर्मा ने विषय का परावर्तन करते हुए कहाकि सरकार द्वारा देश के बड़े और प्राचीन मंदिरों को आधुनिक रूप देने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं जिससे इन आस्था केन्द्रों का मूल स्वरूप बिगड़ रहा है। कई छोटे मंदिर ध्वस्त किए जा रहे हैं।छोटे कारोबारियों के धंधे चौपट हो रहे हैं।
डॉ कुसुम ने कहा कि धार्मिक पर्यटन को सुविधाजनक बनाने में में कोई आपत्ति नहीं किन्तु उनकी पवित्रता बरकरार रहनी चाहिए।आर॰के॰ आकोदिया ने कहाकि धार्मिक स्थलो को प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने से वहाँ विकृतियाँ जन्म लेने लगती हैं और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है। धार्मिक पर्यटन और मनोरंजन और भ्रमण वाले पर्यटन स्थलों को अलग अलग रखा जाना उचित होगा। आईएएस (रि) अरुण कुमार ओझा ने कहा कि भारत भिन्न-भिन्न विचारों और धर्मों वाला देश है। पर्यटन का विकाश ऐसे हो कि सबकी भावनाओं का सम्मान हो और किसी की भावना आहत नहीं होनी चाहिए।डॉ जनकराज ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए पर्यटन क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है किन्तु सरकार को लोगों की आस्था का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए। आईएएस (रि) डॉ सत्यनारायण सिंह मे कहा कि सरकार धार्मिक पर्यटन स्थलों का भले ही विकास करे किन्तु उसके मूल स्वरूप से खिलवाड़ नहीं करे।
प्रगतिशील विचारक लोकेश शर्मा ने वृन्दावन में बांकेबिहारी मंदिर के भक्तों के द्वारा प्रतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी आस्था पर किसी प्रकार का प्रहार नहीं होना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि धार्मिक पर्यटन स्थल सदियों से सामाजिक सद्भाव और भाईचारा वाले केन्द्र रहे हैं। जनमन में उनके प्रति गहरी आस्था रही है। वर्तमान में इन्हें लेकर सद्भाव को बिगाड़ने के प्रयास हमारी भारतीय समन्वित संस्कृति पर प्रहार है।
वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु मिश्र ने कहा कि आज धार्मिक पर्यटन, शैक्षणिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन जैसे प्रकल्प पनप रहे हैं। धन कमाने के लिए आस्था को आघात पहुंचाना अनुचित है। आईएएस (रि) आरसी जैन ने कहा कि हमारे यहाँ अनादिकाल से यात्राएं होती रही हैं परंतु वे आधुनिक पर्यटन से भिन्न थी। डॉ मंगल सोनगरा, वीएनएस भटनागर,भूपेन्द्र शर्मा,रमेश खंडेलवाल, वित्तीय परामर्शक और मुक्त मंच के संरक्षक आरके शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विष्णुलाल शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।