स्थानीय नीति को नियोजन का आधार बनाए और राज्य में जातीय जनगणना सुनिश्चित करे सरकार: आजसू

रांची। हेमंत सोरेन सरकार द्वारा स्थानीयता एवं आरक्षण के संदर्भ में लाया गया विधेयक बस एक राजनीतिक पहल मात्र है। विषयों को जिंदा रखकर राजनीति करना ही झामुमो-कांग्रेस की फितरत रही है।

झारखंडी जनमानस की भावनाओं तथा यहां की पहचान और अस्मिता से जुड़े विषय पर दलीय रुप से चर्चा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। विशेष सत्र में लोकतांत्रिक परंपराओं की अनदेखी हुई।

राज्य के सबसे बड़े विषय पर चर्चा तक नहीं होना तथा स्थानीय नीति में वंशावली का ना होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तरफ सरकार झारखंडियों को रक्षाकवच प्रदान करने की बात करती है और दूसरी ओर स्थानीय नीति में वंशावली को जगह नहीं देती। इससे इनकी मंशा स्पष्ट होती है। सरकार को यह सुनिश्चित करना था कि कोई अयोग्य व्यक्ति किसी भी रास्ते से आकर झारखंडियों की हकमारी नहीं करे, लेकिन वंशावली व्यवस्था को हटकार सरकार ने बहुत बड़ी गलती की है।

हमारा यह स्पष्ट मंतव्य है कि आबादी के अनुसार ही आरक्षण का दायरा सुनिश्चित हो। इसके लिए जातीय जनगणना की निहायत जरूरत है। बिहार सरकार की तर्ज पर अगर हम भी आगे बढ़ते तो चुनौती देने का रास्ता बंद हो जाता, लेकिन सरकार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में हड़बड़ी में निर्णय लेकर चुनौतियों का द्वार खोल दिया है।

खतियान आधारित नियोजन नीति झारखंडी युवाओं की बहुप्रतीक्षित मांग रही है तथा झारखंडियों के हक-अधिकार से जुड़ा विषय है। वेकेंसी, परीक्षा के इंतजार में लाखों युवाओं को वैसे ही सरकार निराश करती रही है। नियुक्तियों की मामूली प्रक्रिया भी शुरु हुई है, वो भी बगैर नियोजन नीति तय हुए। इससे झारखंडी युवाओं में भारी असंतोष है। आजसू पार्टी खतियान आधारित स्थानीय नीति के साथ नियोजन नीति लागू करने की पक्षधर रही है। खतियान के आधार पर नियोजन नीति बनने से ही यहां के लोगों को नौकरियों में वाजिब हक मिलेगा। इसे लेकर हमने विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार से आग्रह भी किया तथा माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्थानीय नीति के साथ साथ नियोजन नीति लागू करने की मांग भी की। लेकिन विधानसभा के विशेष सत्र में इस विषय पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया। यह अफसोसजनक है।

उक्त बातें झारखंड के पूर्व उप एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने विधासनभा के विशेष सत्र में स्थानीयता एवं आरक्षण को लेकर पारित हुए विधेयक को लेकर कही।

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