सरायकेला में परंपरागत महासप्तमी पूजा रविवार को: खंडाधुआ के साथ होगा शस्त्र पूजन

सरायकेला। सोलह कलाओं की नगरी कही जाने वाली सरायकेला के अपने पूजा परंपरा और संस्कार अनमोल विरासत रहे हैं। जहां शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के 16 दिनों की वार्षिक पूजा का शास्त्रीय विधान रहा है। वही शारदीय नवरात्र में प्रत्येक दिवस मां दुर्गा के स्वरुपों की परंपरागत पूजा अर्चना की जाती है। शनिवार को महाषष्ठी के अवसर पर बेलवरण के साथ नगर क्षेत्र के मां दुर्गा पूजा मंडप और पूजा पंडालों के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए।
श्री श्री पब्लिक दुर्गा पूजा कमेटी सरायकेला द्वारा तांत्रिक मतानुसार मां दुर्गा की आराधना की परंपरा लगभग 350 साल पुरानी रही है। जहां महाषष्ठी के अवसर पर कंसारी टोला स्थित दुर्गा मंडप में विधि विधान के साथ बतौर यजमान सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाषष्ठी की बेलवरण पूजा मंत्रोच्चार के बीच की गई। इसके साथ ही भक्तों के लिए दुर्गा मंडप के पट खोल दिए गए। मौके पर दर्जनों की संख्या में भक्तों ने मां दुर्गा के दर्शन करते हुए भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना किए।

मंगलवार को महासप्तमी पर होगा खंडाधुआ:-
सरायकेला रजवाड़े के जमाने से चली आ रही परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की शक्ति स्वरूप में वार्षिक पूजा का विधान रहा है। जिसके तहत सरायकेला राजपरिवार द्वारा महासप्तमी पूजा के अवसर पर खंडाधुआ पूजा परंपरा की जाती है। इसके तहत महासप्तमी के दिन राज पैलेस स्थित शस्त्रागार को खोल दिया जाता है। जिसके बाद सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव श्री श्री पब्लिक दुर्गा पूजा मंडप में जाकर संकल्प लेंगे। इसके पश्चात राज परिवार के सभी सदस्य शस्त्रागार पहुंचकर शस्त्र धारण करेंगे। सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के नेतृत्व में राज परिवार के सभी सदस्य हाथों में शस्त्र लेकर माजना घाट पहुंचेंगे। जहां शस्त्रों की विधि विधान के साथ खरकाई नदी के जल में धुलाई की जाएगी। जिसे खंडाधुआ परंपरा कहा जाता है। इसके बाद पुजारी द्वारा वनदुर्गा का आह्वान कर शस्त्रों की पूजा की जाएगी। उसके बाद एक बार फिर से सभी राज परिवार के सदस्य शस्त्र धारण कर गाजे बाजे के साथ पैदल चलते हुए श्री श्री पब्लिक दुर्गा पूजा मंडप पहुंचेंगे। जहां सरायकेला राजा की अगुआई पूजा अर्चना करते हुए राज परिवार के सभी सदस्य मां दुर्गा के चरणों में शस्त्र समर्पित कर देंगे। पंचांगीय दशा के अनुसार शुभ मुहूर्त में रविवार को प्रातः 8:53 बजे खंडाधुआ परंपरा का आयोजन किया जाएगा।

विजयादशमी तक नहीं उठेगा शस्त्र:-
राज परिवार के सदस्यों द्वारा मां दुर्गा के चरणों में समर्पित किए गए शस्त्र विजयादशमी को अपराजिता पूजन के पश्चात ही उठाया जाएगा। पूजा के इन तीन दिनों के दौरान राज परिवार के सभी सदस्य कितनी भी विषम परिस्थिति पड़ने पर भी किसी भी प्रकार का शस्त्र नहीं उठाएंगे। और परंपरा अनुसार क्रोध तक नहीं करेंगे। यहां तक कि अपनी बाल और दाढ़ी तक भी नहीं बनाएंगे। राज परिवार के बॉबी सिंहदेव बताते हैं कि रजवाड़े के जमाने से मां दुर्गा की शक्ति स्वरूप में अराधना करने का विधान रहा है। इसी के तहत खंडाधुआ पर मां दुर्गा के चरणों में शस्त्र समर्पित कर मानव एवं प्राणियों की सुरक्षा के लिए तथा दुश्मनों और असामाजिक तत्वों के विनाश के लिए शस्त्रों में मां दुर्गा से शक्ति की मंगलकामना की जाती है।

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