झारखंड सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है चाहिए विशेष पैकेज: सीएम

खनन कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया की मांग

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीति आयोग की सातवीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में केंद्र से विशेष पैकेज की मांग की उन्होंने कहा कि झारखंड सुखाल की ओर बढ़ रहा है इसलिए झारखंड को विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए। पिछले ढाई वर्षों में राज्य ने आर्थिक, सामाजिक विकास एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कई कदम उठाये हैं. इसे और बल देने हेतु कोऑपरेटिव फेडरेलिज्म की अवधारणा के तहत केंद्र सरकार का सहयोग सभी राज्यों विशेषकर झारखण्ड को प्राप्त हो. राज्य में तिलहन और दलहन उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. राज्य में सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव है. मात्र 20 फीसदी भूमि पर ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. मेरा अनुरोध है कि झारखण्ड राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने हेतु एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया. झारखण्ड में फसलों में विविधता लाने की दिशा में अभी तक कोई विशेष कार्य योजना पर कार्य नहीं हुआ है. कारण किसानों का सब्सिस्टेंस खेती पर केंद्रित रहना.  कहा कि हमने धान अधिप्राप्ति को दो वर्ष में चार से आठ लाख टन पहुंचाया परंतु आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार और एफसीआई के विशेष सहयोग की आवश्यकता है. सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण हर तीन चार साल में झारखण्ड को सुखाड़ का दंश झेलना पड़ता है. वर्तमान परिस्थिति में राज्य सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह है कि झारखण्ड राज्य के लिए विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए जिससे सुखाड़ जैसी विकट समस्या से निबटा जा सके. झारखण्ड में करीब 30फीसदी वन भूमि क्षेत्र है. नई नियमावली में वन भूमि अपयोजन के लिए स्टेज-टू क्लीयरेंस के पूर्व ग्राम सभा की सहमति का प्रावधान समाप्त कर दिया गया जो आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के हितों के प्रतिकूल है. प्रधानमंत्री से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने हेतु आग्रह है. भुगतान कराने हेतु निर्देश इन खनन कंपनियों को दें जिससे राज्य के नागरिकों के सर्वांगीण विकास में इस राशि का उपयोग किया जा सके. झारखण्ड में विभिन्न खनन कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है परंतु कंपनियां इसके भुगतान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. इस बाबत कई प्रयास भी किये गए जिनका फलाफल शून्य रहा. प्रधानमंत्री से विनम्र आग्रह है बकाया राशि के लिए अन्याय होगा. 
प्रधानमंत्री से इस विषय पर सकारात्मक पहल करने हेतु आग्रह है. झारखण्ड को कोयला कंपनियों द्वारा एड वालोरेम के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया जा रहा जिससे राज्य को हजारों करोड़ की राशि से वंचित होना पड़ रहा है. मुझे बताया गया है कि कोयला मंत्रालय द्वारा इस प्रावधान को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है जो झारखण्ड जैसे राज्य परिवर्तन हुए वो ठीक इसके विपरीत साबित हुए हैं. जैसे जीएसटी लागू होने से झारखण्ड को काफी घाटा हुआ है परंतु इसकी भरपाई करने का प्रयास समुचित तरीके से नहीं किया गया. झारखण्ड के खनिज एवं वन संपदाओं का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. परंतु राज्य के आदिवासी और मूलवासी ने हमेशा ठगा हुआ महसूस किया है. खनिज संपदा के उत्खनन से प्राप्त आय का अधिकाधिक हिस्सा झारखण्ड जैसे राज्य को प्राप्त होना चाहि. हमने विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड पारित कर केंद्र सरकार को भेजा. क्या कारण है इस पर अभी तक विपक्ष चुप बैठा हुआ है. क्यों आदिवासियों को उनका धर्म कोड नहीं दिया जा रहा है. हमारी जनसंख्या से भी कम संख्या वालों का अपना कोड है. तो फिर आदिवासियों का अलग धर्म कोड क्यों नहीं?

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