गणादेश खासः बूढ़े कंधों पर जंगल की सुरक्षा, कार्यरत सभी रेंजर रिटायरमेंट की दहलीज पर, रेंजर के 298 पद खाली, एक-एक रेंजर को तीन-चार रेंज का प्रभार
रांची: वन विभाग का कैडर मैनेजमेंट चरमरा सा गया है। एक तरफ आइएफएस अफसर प्रमोशन पाने में पीछे रह गए हैं, तो दूसरी तरफ फील्ड में रहने वाले रेंजरों की भारी कमी हो गई है। बताते चलें कि झारखंड में रेंजर के कुल 383 पद स्वीकृत हैं. इसके विरुद्ध वर्तमान में सिर्फ 85 रेंजर ही कार्यरत है। एक-एक रेंजर को तीन से चार रेंड का प्रभार सौंप दिया गया है। आंकड़ों पर गौर करें तो रेंजर के 298 पद खाली हैं. दिसंबर 2022 तक 23 रेंजर, वर्ष 2023 में 23, वर्ष 2024 में 17 व वर्ष 2025 में 19 रेंजर सेवानिवृत्त हो जायेंगे. इसके बाद वन विभाग में रेंजर ही नहीं दिखेंगे। रेंजर की कमी के कारण फील्ड का काम प्रभावित हो रहा है। इस बाबत पीसीसीएफ ने वन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर विभाग में सेवानिवृत्त होनेवाले रेंजरों को तीन वर्षों का एक्सटेंशन देने का आग्रह किया है। दिलचस्प बात तो यह है कि रेंजरों की सीधी भर्ती नियुक्ति की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पायी है. अगर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू भी होती है, तो इसमें एक वर्ष का समय लगेगा. दो वर्ष प्रशिक्षण में लगेंगे. इसका मतलब तीन वर्ष के बाद ही रेंजर उपलब्ध हो पाएंगे।