साहित्य से व्यक्तित्व का विकास होता है: जिला शिक्षा पदाधिकारी


साहित्य की दुनिया मंच के द्वारा साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज के सहयोग से स्वरचित काव्य पाठ एवं समाज के विकास में साहित्य का योगदान विषय को लेकर परिचर्चा का आयोजन साहिबगंज महाविद्यालय के नंदन भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉक्टर दुर्गानंद झा मंच के संरक्षक प्रणव कुमार साहिबगंज महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राहुल कुमार संतोष मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल श्रीवास्तव एवं झारखंड प्रदेश के संयोजक सुधीर श्रीवास्तव के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित एवं पुष्प समर्पित किया गया।
स्वरचित काव्य पाठ प्रतियोगिता में अमन कुमार होली को प्रथम स्थान सोनू कुमार को द्वितीय स्थान एवं शाम्या प्रवीण तृतीय स्थान दिया गया। सभी विजेताओं को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया जबकि अन्य प्रतिभागियों को सम्मान पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया।
इस अवसर पर साहिबगंज महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा स्वरचित कविता का पाठ किया गया जिसमें जहां अमन कुमार होली ने सद्भावना एवं नारी शक्ति पर अपनी कविता प्रस्तुत की वहीं इशिका शर्मा के द्वारा जिंदगी मुझे उधार दे की रचनाओं ने सबको सराबोर कर दिया अंतिमा सिंह के द्वारा प्रस्तुत कविता में बचपन की याद दिलाई गई तो पिंकी उरांव ने महिला को शेरनी बताते हुए कविता का पाठ किया अभिषेक कुमार शर्मा अपनी कविता के माध्यम से ऐसा भारत में चाहता हूं की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया जबकि सामिया प्रवीण ने वीर रस में रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए अपनी कविता का पाठ किया तो सोनू कुमार ने तु बढ़ लेकिन जरा संभल कर का पाठ कर लोगों की वाहवाही बटोर ली राजू शाह ने अपनी कविता के माध्यम से सपनों के भारत का दर्शन कराया।
स्वरचित काव्य पाठ के बाद समाज के विकास में साहित्य का योगदान विषय को लेकर परिचर्चा आयोजित की गई इसमें मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बातें रखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ दुर्गानंद झा ने कहा कि साहित्य वह विधा है जिससे समाज ही नहीं बल्कि व्यक्ति का भी विकास होता है। उन्होंने कहा कि अवसाद से बचने का सर्वोत्तम माध्यम साहित्य है केवल इतना ही नहीं हमारे जीवन का प्रेरणास्रोत भी है। मंच के संरक्षक प्रणय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य के लिए भाषा का विद्यार्थी होना आवश्यक नहीं है। जो कि हर मनुष्य के अंदर साहित्य का वास होता है हम जो सोचते हैं उसे शब्दों में उकेरना ही साहित्य है। उन्होंने भी अवसाद से बचने का सर्वोत्तम माध्यम साहित्य को ही बताया। प्रणय कुमार ने कहां के साहित्य के बिना मनुष्य का जीवन सुना है। साहित्य हमारा न केवल प्रेरणास्रोत है अपितु हमारे जीवन का एक अति महत्वपूर्ण अंग भी है। कार्यक्रम को महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राहुल कुमार संतोष एवं मंच के झारखंड संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन गोपाल श्रीवास्तव ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन आनंद मोदी के द्वारा किया गया।

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