34वें राष्ट्रीय खेल घोटालाः 206 करोड़ से बढ़कर 377.7 फिर 506 करोड़ रुपये का हो गया प्रोजेक्ट

डिप्यूटेड रेट को फाइनल करने के लिए अपीलेट कमिटी भी बनी
कमेटी में मेकन, सीपीडब्ल्यूडी के सदस्यों को शामिल किया गया था,
कमिटी को कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं दी गयी

रांचीः वर्ष 2011 में रांची के खेल गांव में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन कर इतिहास तो रचा गया, लेकिन इस पर घोटाले का काला धब्बा भी लगा। अब इसकी सीबीआई जांच कराई जाएगी। बताते चलें कि 31 मई 2006 को स्टेडियम निर्माण के लिए सिंप्लेक्स और नागार्जुना के बीच 18 महीने का करार हुआ था। करार के वक्त यह प्रोजेक्ट 206 करोड़ रुपये का था। तिथि बढ़ने से यह प्रोजेक्ट 377.7 करोड़ का हो गया। फिर एक बार अवधि विस्तार होने से यह प्रोजेक्ट 506 करोड़ रुपये का हो गया। इस दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम, खेल मंत्री सहित अफसरों पर स्टील बीम, मिट्टी, बालू, चिप्स से लेकर मैनपावर तक में मुनाफा कमाने के आरोप लगे।
कंपनियों को हुआ 445 करोड़ का ही भुगतान
तत्कालीन राज्य सरकार ने स्टेडियम निर्माण के एवज में 506 करोड़ रुपये खर्च किये। जबकि, कंपनियों को 445 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया। शेष 61 करोड़ रुपये का ब्योरा अब तक न तो सरकार के पास है और न ही एजेंसी के पास। डिप्यूटेड रेट को फाइनल करने के लिए अपीलेट कमिटी भी बनी। इसमें मेकन, सीपीडब्ल्यूडी के सदस्यों को शामिल किया गया था, लेकिन इस कमिटी को कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं दी गयी।
चार बार बदला गया डिजाइन
बॉस्केट बॉल स्टेडियम के निर्माण में तीन साल का समय लगा। इसके निर्माण के समय चार बार डिजाइन बदला गया । जापान और कोरिया की कंपनी को एडवांस दिया गया। एक्वेटिक स्टेडियम में कंपनी ने पहले इटालियन कंपनी का डाइविंग बोर्ड लगाया, फिर उसे बदलकर इंडियन कंपनी ड्यूरा का बोर्ड लगाया गया। मुख्य स्टेडियम में 140 करोड़, बॉस्केट बॉल स्टेडियम मे 30 करोड़, एक्वेटिक स्टेडियम में 25 करोड़, बैडमिंटन कोर्ट में 25 करोड़, शूटिंग रेंज में 10 करोड़ और टेनिस कोर्ट, टेनिस स्टेडियम और प्रैक्टिस कोर्ट में 33 करोड़ खर्च किए गए।

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