इस दिव्यांग की कौन सुने, नेटकी परीक्षा पास की, यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का मिला मौका अब इंवर्सिटी पैसा देने में कर रहा आनाकानी

रांची। झारखंड मैं टैलेंट की कोई पूछ नहीं है जिसे काम मिला उसके साथ नाइंसाफी की गई हक का पैसा भी नहीं मिला इसका नतीजा यह हुआ कि लोग दाने-दाने के मोहताज होगे इसी तरह का मामला एक बार फिर सामने आया है एक दिव्यांग को अपने हक के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ गई है वह राजभवन का चक्कर लगा रहा है राजेश दिव्यांग है उसके पिता मजदूर हैं हाड़ तोड़ मेहनत कर पिता ने राजेश को पढ़ाया राजेश ने भी खूब पढ़ाई की दो बार नेट की परीक्षा में सफल हुए इसके बाद राजेश को सिधूर कान्हो युनिवर्सिटी में पढ़ाने का मौका मिला लगभग 1 साल तक राजेश ने सिद्धूकान्हो यूनिवर्सिटी में पढ़ाया इसके एवज में राजेश को यूनिवर्सिटी से फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। राजेश के पिता ने भी सपना संजोए रखा था कि बेटा बुढ़ापे में सहारा बनेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में साल भर पढ़ाने के बावजूद उन्हें एक पैसा नहीं मिला और अब उसे क्लास लेने से भी मना कर दिया गया है। अब राजेश दुमका कुलपति कार्यालय से लेकर राजभवन तक का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कोई सुन नहीं रहा। थक हारकर राजेश इसी राजभवन के सामने 8 दिन से दिन-रात धरना पर बैठ गए हैं। यह व्यवस्था आखिर चाहती क्या है?

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