फल,सब्जी और मशरूम की खेती को लेकर महिला किसानों ने लिया प्रशिक्षण

खूंटी: कर्रा स्थित किसान पाठशाला में कृषि एवम सहकारिता विभाग के उद्यान निदेशालय द्वारा फल,सब्जी और मशरूम की खेती पर किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम चल रहा है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शनिवार को दूसरा दिन था।
एपीपी एग्रीगेट के द्वारा किसानों को मशरूम उत्पादन और फल और सब्जियों की खेती के बारे में बताया जा रहा है।
प्रशिक्षण अनमोल कुमार,पूनम सांगा ने उपस्थित महिला किसानों को आधुनिक तकनीक के द्वारा सब्जियों की खेती के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सब्जी उत्पादन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने की जरूरत नहीं है। यह एक सुरिक्षत पद्धति है तथा उत्पादित साग-सब्जी कीटनाशक दवाईयों से भी मुक्त होंगे। बहुत सारे लोग आज अपने मकान के छत पर सब्जी उगा रहे हैं।
टमाटर की खेती पर कहा कि टमाटर, बैगन और मिर्ची को 30-45 सेंमी की दूरी पर मेड़ या उससे सटाकर रोपाई की जाती है। बड़ी प्याज के लिए मेड़ के दोनों ओर 10 सेमी. की जगह छोड़ी जाती है। रोपण के तीसरे दिन पौधों की सिंचाई की जाती है। प्रारंभिक अवस्था में इस प्रतिरोपण को दो दिनों में एक दिन बाद पानी दिया जाए तथा बाद में चार दिनों के बाद पानी दिया जाए।
वहीं एपीपी एग्रीगेट के निदेशक प्रभाकर कुमार ने  आधुनिक तकनीक से मशरूम का उत्पादन अधिक से अधिक किया जा सकता है। उन्होंने मशरूम की प्रजातियों के बारे में प्रशिक्षण ले रही महिला किसानों को बताया। उन्होंने कहा कि विश्व में खाने योग्य मशरुम की लगभग दस हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 70 प्रजातियां ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। भारतीय वातावरण में मुख्य रुप से पांच प्रकार के खाद्य मशरुमों की व्यावसायिक स्तर पर खेती की जाती है।
सफेद बटन मशरुम,ऑयस्टर मशरुम और दूधिया मशरुम का उत्पादन किसान इस क्षेत्र में कर रहे हैं।
प्रशिक्षण में खूंटी और कर्रा की महिला और पुरुष किसान उपस्थित थे।

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