जब शनिदेव ने ली पांडवों की परीक्षा और कलयुग की बातें

कौरवों से जुए में राज-पाट हारने के बाद पाण्डवों को 12 साल का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ था। 12 साल का समय समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था और अज्ञातवास का आरंभ होना था। पांचों भाई पत्नी द्रौपदी के साथ जंगल में छुपने का स्थान ढूंढ रहे थे। तभी शनिदेव की नजर इन सब पर पड़ी। शनिदेव को इनकी परीक्षा लेने का विचार आया, उन्होंने सोचा देखा जाए इन सब में सबसे बुद्धिमान कौन है ?
शनिदेव ने परीक्षा लेने के लिए अपनी माया से जंगल में सुंदर महल का निर्माण किया, उस महल के चारों कोने पूर्व, पश्चिम, उतर और दक्षिण किसी को भी हैरान करने वाले थे। महल को देखते ही भीम का मन इस महल को देखने के लिए उत्सुक हो उठा और वे इस महल के अंदर जाने लगे। तभी दरबान बने शनिदेव ने उन्हें रोक लिया और कहा-आप तभी इसके अंदर जा सकते हैं, जब आप मेरी सारी शर्तों को पूरा करेंगे। जो इस प्रकार थी-
पहली शर्त: महल के चारों कोनों में से आप एक ही कोना देख सकते हैं। दूसरी शर्त : महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करनी होगी और अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।
सारी शर्ते भीम ने स्वीकार कर ली और अंदर चले गए। अंदर पहुंचकर उन्होंने तीन कुएं देखे। इसमें एक सबसे बड़ा था और दो छोटे कुएं थे। जब बड़े कुएं का पानी उछलता था तो बराबर के दोनों कुएं भर जाते थे। लेकिन जब छोटे कुएं में पानी उछलता तो बड़े कुएं का पानी आधा ही रह जाता। जैसे ही भीम बाहर निकलने लगे तब दरबान ने कुंओं का मतलब पूछा तो भीम नहीं बता पाए। शनिदेव की शर्त के मुताबिक उन्हें बंदी बना लिया गया।
उसके बाद अर्जुन इस महल में गए तब दरबान ने उन्हें भी सारी शर्त बता दी। आगे जाकर अर्जुन ने देखा एक खेत में दो फसल उग रही थी। एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्की की फसल। बाजरे के पौधे से मक्की निकल रही थी और मक्के के पौधे से बाजरा निकल रहा था। अर्जुन को ये अजीब लगा, कुछ समझ नहीं आया। शर्त के मुताबिक वह भी जवाब न दे पाए और उन्हें भी बंदी बना लिया गया। इसी तरह नकुल और सहदेव को भी जवाब न दे पाने के चलते शनिदेव उन्हें भी बंदी बना लेते हैं।
काफी देर बाद जब चारों में से कोई भी वापिस न आया तो युधिष्ठिर उन सब को देखने के लिए पहुंचे। युधिष्ठिर ने दरबान से अपने भाइयों के बारे में पूछा तो शनि देव ने बताया कि वह सभी उनकी शर्तों को पूरी न कर सके इसलिए सभी बंदी हैं। तब युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को छुड़ाने के लिए सभी शर्तों का उत्तर देना शुरू किया।
सबसे पहले भीम के कुएं के दृश्य के बारे में युधिष्ठिर ने बताया कि इसका अर्थ है कि कलयुग में एक पिता दो बेटों का पेट तो भर देगा लेकिन दो बेटे अपने एक पिता का पेट नहीं भर पाएंगे। अर्जुन के दृश्य का जवाब कुछ इस तरह था कि कलयुग में विवाह के लिए जात-पात का भेद नहीं किया जाएगा, लोग अपने कुल की मर्यादा को त्याग कर किसी भी कुल में विवाह करने लगेंगे। युधिष्ठिर ने नकुल के देखे हुए दृश्य कि जब गायों को भूख लगती है तो वह अपनी बछिया का दूध पीती हैं का अर्थ बताया कि कलियुग में माताएं अपनी बेटियों के घर में पलेगी बेटी का दाना खाएगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे। सहदेव ने एक चांदी के सिक्के पर सोने की विशाल शिला को टिके हुए देखा था। युधिष्ठिर ने इसका अर्थ बताया कि कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परंतु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।
इसके बाद चारों भाई वहां से मुक्त हो गए और शनिदेव की इस परीक्षा में युधिष्ठिर सफल हुए। आज कलयुग में कथा में वर्णित सब चीजें घटित हो रही है।

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