विकट परिस्थितियों में भी हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना होगा : सुदेश कुमार महतो

रांची: तकनीक एवं आधुनिकता के इस दौर में हमें आगे बढ़ना भी है लेकिन अपनी परंपरा, संस्कृति, भाषा को साथ लेकर चलना भी है। आज लोग विकास और सुविधा की बात करते हैं लेकिन हमारे लिए अस्तित्व और पहचान को बचाए रखना बड़ी चुनौती है। विकट परिस्थितियों में भी हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना होगा।

बदलते हुए परिवेश में युवा पीढ़ी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। हमारी संस्कृति के संरक्षण एवं परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आकर नेतृत्व देना होगा।

उक्त बातें झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने किसान भवन, सिल्ली में विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित सम्मान समारोह के दौरान कही।

ज्ञात हो कि विश्व आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं सिल्ली विधायक श्री सुदेश कुमार महतो ने साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, खेलकूद, पर्यावरण संरक्षण तथा आदिवासी समाज के विकास को लेकर बहुमूल्य योगदान देनेवाले विभूतियों को सम्मानित किया।

सम्मान समारोह में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संसाधनों के अभाव में भी कई क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाकर अपनी एक खास पहचान बनाने वाले प्रकृति सेवक आदिवासी समुदाय ने स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का यह दिन नई सोच, नए विचार, नई संभावनाओ को आवाज देने का है। यह पावन दिवस उन महान विभूतियों के संघर्ष और समर्पण को भी याद करने का है, जिन्होंने झारखंड राज्य के निर्माण और आदिवासी समाज की संस्कृति, पहचान को बचाने की ताउम्र जतन करते रहे।

• पूरे राज्य में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस

आजसू पार्टी ने पूरे राज्य में विश्व आदिवासी दिवस मनाया। इस दौरान आजसू पार्टी के सभी केंद्रीय पदाधिकारी, जिला एवं प्रखंड पदाधिकारी, सभी अनुषंगी इकाई के पदाधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन कर, आदिवासी वीर शहीदों की शौर्य गाथा एवं बलिदान पर चर्चा किया। इस मौके पर आजसू पार्टी के केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में आदिवासियों के भविष्य लिए चिंतन-मनन करना जरूरी है। चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा। युवा जब झारखंड को जानेंगे, तो आदिवासी समाज की विशिष्टताएं भी जान सकेंगे।

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