कुलपति ने डेरिडा डिकोडेड ’ पुस्तक का किया विमोचन
रांची: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष, प्रो. विनय भरत द्वारा लिखित पुस्तक ‘ डेरिडा डिकोडेड ’का विमोचन समारोह सोमवार को विश्वविद्यालय सभागार में हुआ। यह पुस्तक जैक डेरिडा के गहन विचारों को सरल रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है, जो विशेषकर शैक्षणिक समुदाय को समझने में मददगार होगी। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों ने विचार साझा किए और लेखक को उनके योगदान के लिए सराहा।
कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर अतिथियों के स्वागत से हुई, जिसमें सबसे पहले कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य, पूर्व कार्यवाहक प्रो-वीसी और डीन ह्यूमैनिटीज प्रो. कृष्ण कुमार, पूर्व डीन और , डीएसडब्ल्यू डॉ. सर्वोत्कम कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. नमिता सिंह, डोरंडा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजकुमार शर्मा, पुस्तक के प्रकाशक झारखण्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के Honarary डिरेक्टर डॉ. कंजीव लोचन, और अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. समीरा सिन्हा, डॉ धन्यनंजय वासुदेव द्विवेदी, डॉ जिंदर सिंह मुंडा को मंच पर आमंत्रित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने पुस्तक के विषय में कहा, “यह पुस्तक न केवल डेरिडा के विचारों को आसान बनाती है, बल्कि हमारे छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक संदर्भ बनकर उभरने वाली है।”
उन्होंने किताब के बीज मंत्र कि “शब्द अनवरत अपने केंद्र बदलते हैं “और “शब्द धोखेबाज होते हैं” के दर्शन पर छात्रों को केंद्रित करने को कहा. यह POST MODERNIST दर्शन वक्त और जगह के साथ बदलते शब्द के अर्थ को चिन्हित करता है, जिसके वजह से समाज के केंद्र में रहे सारी पुस्तकों के पुन:पाठ की जरूरत है. इतिहास को भी दोबारा पढ़ने की जरूरत है “.
पुस्तक प्रकाशन में आर्थिक मदद पहुंचाने वाली संस्था ” परिवर्तन ” की सचिव श्रीमती श्रेया तिवारी ने कहा कि ” ऐसी शैक्षणिक पुस्तकों को प्रकाशित करने में जब भी जरूरत पड़ेगी, “परिवर्तन ” संस्था साथ रहेगी.
बीज वक्ता डॉ. राजकुमार शर्मा ने कहा कि
“इस किताब को समझने से पहले STRUCTURALISM को समझने की जरूरत है. इस तरीके की पुस्तक विश्वविद्यालयों में एक नई संवाद गोष्ठी का माहौल बनाते हैं, जिसे अकादमिक दुनिया में सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि कार्ल मार्क्स, सिगमंड फ्रायड, विलियम जेम्स ने दुनिया को प्रभावित किया और सेंटरस शिफ्ट किया. देरिदा के आलेख नई दुनिया के सामने नया फलक खोलते हैं. “
प्रो. कृष्ण कुमार ने लेखक की सराहना करते हुए कहा, “विनय भरत ने अपने अद्वितीय दृष्टिकोण से डेरिडा के दार्शनिक सिद्धांतों को आधुनिक शिक्षण के परिप्रेक्ष्य में ढाला है।
प्रकाशक डॉ. कंजीव लोचन ने कहा, “यह पुस्तक शैक्षणिक जगत में एक नई सोच को जन्म देगी और डेरिडा के जटिल विचारों को सभी के लिए सुगम बनाएगी।
डॉ. समीरा सिन्हा ने अपने भाषण में कहा, “देरीदा डिकोडेड ” पुस्तक छात्रों के लिए मार्गदर्शक साबित होगी, जो दार्शनिक दृष्टिकोण को व्यावहारिक संदर्भों में देखना चाहते हैं।”
डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा, “पुस्तक भाषा के क्षेत्र में नया आयाम खोलती है. और, इसमें असीम संभावनाएं हैं “.
समारोह में DSW डॉ. सर्वोत्तम कुमार और डॉ. नमिता सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए और लेखक की रचनात्मकता की सराहना की।
अंत में, सौरभ मुखर्जी ने मंच संचालन और शिक्षिका दिव्या प्रिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
इस मौके पर विभाग की शिक्षिका डॉ पियूषबाला, सुमित मिंज, दिव्या प्रिया,अदिति और रुचिका केरकेट्टा ने भी विचार रखे.इस बीच सभागार 500 छात्रों से भरा रहा.