बीपीपा सुप्रीमों पूर्व सांसद आनंद मोहन की अगुवाई में एम्स आंदोलन का शंखनाद, बाजार बंद और रहा शहर का चक्का जाम
संजय सोनी/सहरसा:कोसी की धरती सहरसा में करीब डेढ दशक बाद किसी जन मुद्दे को लेकर हूंकार भरा गया। अपनी रिहाई के बाद बीपीपा सुप्रीमों पूर्व सांसद आनंद मोहन की अगुवाई में विभिन्न राजनीतिक दलों व संगठनों के संगठनात्मक पदाधिकारी, प्रमुख कार्यकर्ता, व्यापारी संगठन, वाहन मालिकों, एम्स निर्माण संघर्ष समिति सहित आम लोगों के समर्थन से पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सोमवार को सहरसा स्वतः बंद और शहर का चक्का जाम रहा। आंदोलनकारियों ने समाहरणालय द्वार का भी घेराव किया और नारेबाजी की।
एम्स आंदोलन की सफलता पर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि फैसले का आगाज जब इतना जबर्दश्त है तो अंजाम भी बेहतर होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एम्स निर्माण संघर्ष समिति के साथ देने के आग्रह पर मैंने सर्वदलीय बैठक बुलाकर आंदोलन का शंखनाद किया और परिणाम आपके सामने है। पुरखों की विरासत वाली प्रमंडलीय मुख्यालय शहर सहरसा का लोकसभा सीट का नाम भी बदल गया। सहरसा की हकमारी हो रही है। सारी शर्तें रहने के बाद भी मेडिकल कॉलेज, विवि, दूर संचार, पोस्टल कार्यालय यहां से चला गया। अब पानी नाक से उपर बह रहा है। हम न राजपूत हैं, न यादव। न हिन्दु हैं, न मुसलमान। हम केवल सहरसावासी हैं। अब हम अपनी हकमारी होने नहीं देंगें। पूर्व सांसद सहरसा की सड़क एम्स, एयरपोर्ट, एवं पावर ग्रिड बनवाने की मांग को लेकर बंद को सफल करवाया।
इस आंदोलन में सभी पार्टियों का समर्थन मिला है। इस दौरान आनंद मोहन ने यह भी कहा कि ये दलगत राजनीति से ऊपर का आंदोलन है। ये बंद नहीं है बल्कि अगली जीत का जश्न है। आंदोलन में पूर्व सांसद लवली आनंद, स्थानीय भाजपा विधायक आलोक रंजन, भाजपा जिलाध्यक्ष दिवाकर सिंह सहित आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी,लोजपा एवं लेफ्ट पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी पार्टी झंडे के साथ सड़क पर एम्स के लिए नजर आए। वैसे सहरसा बंद को लेकर प्रशासनिक स्तर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पर किए गए थे।
भाजपा विधायक पूर्व मंत्री आलोक रंजन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार को दूसरा एम्स दिया। सम्पूर्ण भारत में किसी राज्य में दो एम्स नहीं है, लेकिन बिहार में पटना के बाद एक और एम्स दिया गया। राज्य सरकार के कारण यहां एम्स नही बन पा रहा है। नीतीश कुमार ने दरभंगा में एम्स देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उस जगह को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर सहरसा में एम्स बनता है तो उत्तर बिहार के लोगों को इससे काफी लाभ होगा।
——–वर्ष 2017 से सहरसा में हो रही एम्स की मांग——-
एम्स की स्थापना को लेकर सहरसा में वर्ष 2017 से आंदोलन चल रहा है। सहरसा में दूसरे एम्स निर्माण की मांग को लेकर हाई कोर्ट पटना में जनहित याचिका भी दायर है। 20 मार्च 2023 को इस मामले में सुनवाई हुई थी। एम्स निर्माण के लिए 217.74 एकड़ जमीन सतरकटैया अंचल के गोबरगढ़ा में उपलब्ध होने की जानकारी राज्य सरकार को दी गयी थी।