त्रिकुट पर्वत रोपवे हादसाः रेसक्यू के लिए उतरी वायु सेना

देवघर: त्रिकुट पर्वत पर रोपवे हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए वायु सेना ने मोरचा संभाल लिया है। सोमवार की सुबह वायुसेना की टीम अपने हेलीकॉप्‍टर से रस्‍सी के सहारे नीचे हवा में उतरी और रोपवे के केबिन में फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू किया। सबसे पहले केबिन नंबर 18 में फंसे लोगों को बाहर निकालने का टीम प्रयास कर रही। इसके साथ-साथ नौ नंबर केबिन में फंसे लोगों को भी बाहर निकालने का प्रयास जारी है।
हालांकि पहले प्रयास में एयरफोर्स का कमांडो ट्रॉली के केबिन तक नहीं पहुंच पाया। करीब 25 मिनट के प्रयास के बाद हेलीकॉप्टर वापस लौट आया। पहले 18 और फिर 9 नंबर केबिन के पास उतरने का कमांडो प्रयास कर र‍हा था। बीते 15 घंटे से अधिक समय से त्रिकुट पर्वत पर रोपवे में फंसे लोगों को तत्‍काल चिकित्‍सा सहायता उपलब्‍ध कराने को स्‍वास्‍थ्‍य विभाग भी तत्‍पर है। सुबह करीब साढ़े नौ बजे जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्‍टर जुगल चौधरी ने सदर अस्पताल में चिकित्सकों के साथ बैठक कर त्रिकुट पहाड़ से आने वाले मरीजों के इलाज को लेकर दिशा-निर्देश दिया। बताते चलें कि रविवार की शाम देवघर में त्रिकुट पर्वत पर संचालित रोपवे का सैप टूटने से अचानक हवा में करीब 75 से अधिक लोग फंस गए थे। हालांक‍ि इनमें से 24 लोगों को तो देर रात तक ही निकाल लिया गया, लेकिन 12 केबिन में फंसे 48 पर्यटक पूरी रात हवा में अपनी सांसें थामे जमीन से करीब दो हजार फीट ऊपर लटके रहे। सोमवार की सुबह करीब सवा छह बजे वायुसेना का हेलीकॉप्‍टर कमांडोज के साथ पहुंचा। यहां पहले वायुसेना के जहाज ने एरियल सर्वे किया। फिर लोगों को बचाने का अभियान शुरू हुआ। इससे पहले सुबह करीब सवा पांच बजे भारतीय सेना व आइटीबीपी की टीम बचाव कार्य के लिए त्रिकुट रोपवे पहुंची। साढ़े पांच बजे पटना से एनडीआरएफ की टीम भी आई। वहीं देवघर की 30 सदस्‍यीय एनडीआरएफ टीम व जिला प्रशासन के लोग पूरी रात अपने स्‍तर से रोपवे में फंसे लोगों को बचाने में जुटे रहे। जिले के डीसी, एसपी समेत अपनों की सकुशल वापसी का इंतजार कर रहे स्वजन भी पूरी रात घटनास्‍थल पर ही डटे रहे।
26 ट्रॉली के साथ त्रिकुट पर्वत पर चलता है रोपवे
त्रिकुट पर्वत पर संचालित रोपवे कुल 26 ट्रॉलियों के साथ चलाया जाता है। हालांकि रविवार को 24 ही चल रही थीं। 2 ट्रॉलियों का मेंटेनेंस किया जा रहा था। हादसे के समय रोपवे के 20 केबिन में 80 यात्री सवार थे। इनमें से 8 केबिन में फंसे करीब 28 लोग रविवार की रात तक ही निकाल लिये गए थे, जबकि 12 अन्‍य ट्रॉलियों में फंसे लोगों को बचाने के लिए अब अभियान चलाया जा रहा है। वहीं पहाड़ के ऊपर फंसे करीब 25 से 30 लोग रात में पैदल ही नीचे उतर गए।

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