आज नहाए खाए के साथ शुरू हो गया “छठ पूजा “का महापर्व
रामगढ़: आज से देशभर में छठ – मैया की पूजा और उपासना का महापर्व शुरू हो गया है । इस त्यौहार को “सूर्य – षष्ठी “व्रत के नाम से जाना जाता है । छठ पूजा के दिन भगवान भोलेनाथ की भी पूजा की जाती है । छठ पूजा का पर्व आरोग्य, समृद्धि और संतान के लिए रखा जाता है । यह 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है । मान्यता है , कि इस व्रत से अमोघ फल की प्राप्ति होती है ।
- पहले दिन नहाय-खाय से शुरुआत : इस दिन छठ व्रती पूरी पवित्रता के साथ अरवा चावल, चना दाल ,कद्दू और दूधा आलू का भोजन बना कर, छठ माता का पूजा अर्चना कर भोजन करते/करती हैं ।
- दूसरा दिन “खरना “होता है :
इस दिन व्रति दिन भर उपवास रह कर शुद्ध गाय के दूध और अरवा चावल से शाम को विशेष ( खीर) भोग बनाया जाता है । फिर ब्रति संध्या रात्रि में छठ माता का आराधना करते हुए खीर का भोग करती / करते हैं । और फिर सबों को प्रसाद वितरण की जाती है । इस वर्ष 29 अक्टूबर 2022 को है । - व्रत के तीसरा दिन संध्या अर्ध्य – इस दिन छठ पूजा की एक-एक विधि और नियम कायदे का अपना अलग धार्मिक और पौराणिक महत्व है । इस महा पूजा के तीसरे दिन की भी अपनी अलग महिमा है पूजा के तीसरे दिन शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है । इस दौरान सभी व़ति श्रद्धालु अपनी अपनी बांस की टोकरी में पूजा सामग्री के साथ फल, ठेकुआ और चावल के लड्डू भी रखते हैं । इस दौरान पूरे अर्ध्य के सुप को भी सजाया जाता है । जब पूरे विधि विधान से पूजा हो जाती है, फिर सभी व्यक्ति अपने परिजनों के साथ मिलकर अस्ताचल सूर्य यानी डूबते हुए सूरज देवता को अर्ध देते हैं यानी इस दिन डूबते सूर्य की उपासना की जाती है । यह पूजा 30 अक्टूबर को होगी ।
- चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य-अतः इस अंतिम दिन उगते हुए सूर्य देव महाराज को अर्घ्य देते हुए सभी व्रती पूजा करते हैं एवं हवन करते हुए व्रत का समापन होता है और फिर सबों को प्रसाद वितरण की जाती है। इस प्रकार से इस विराट महापर्व का समापन हो जाता है ।