बरसात की मुश्किलों से बचाव के लिए नाले की उड़ाही शुरू

मृणाल शेखर
फारबिसगंज: 1912 में बनी फारबिसगंज नगर परिषद पिछले एक दशक से हरेक साल बरसात के मौसम में बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर रही है।मूल रूप से इसका कारण जल निकासी और अधिग्रहण वाले क्षेत्रों में बेतहाशा अतिक्रमण कर मकान सहित अन्य का निर्माण किया जाना है।फलस्वरूप शहर के बाहर से निकासी होने वाला जल शहर में प्रवेश कर हरेक साल बाढ़ जैसे हालात पैदा करते रहे हैं।जल निकासी और अधिग्रहण वाले क्षेत्र सहित शहर में जलनिकासी के लिए बने नालों की लंबे अर्से से उड़ाही नहीं होने के कारण सिल्ट और कचड़ा से भर गया।फलस्वरूप बरसात या गंदा पानी नाले में जाने के बजाय शहर के सड़कों पर पसरा रहता रहा है।इन समस्याओं से निदान को लेकर इस बार मुख्य पार्षद गुंजन सिंह और उप मुख्य पार्षद कृष्णदेव भगत ने कमर कसी है और पार्षदों और उनके प्रतिनिधियों के साथ मिलकर जल निकासी वाले नालों से मिट्टी और कचड़े की उड़ाही युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।स्वयं नप के कर्मचारी के साथ मुख्य पार्षद पति मन्टू सिंह,उपमुख्य पार्षद कृष्णदेव भगत के साथ वार्डों में पार्षद इस्लाम,रंजू देवी,सुशील साह,सरिता गुप्ता,बेबी राय,संजय रजक,चांदनी सिंह,प्रतिनिधि आयुष कुमार उर्फ कल्लू,मो बेलाल अली,खुददूसद अंसारी,इलियास अंसारी,कन्हैया गुप्ता स्वयं नाले की उड़ाही अपनी निगरानी में दिन रात कर रहे हैं।
मामले पर मुख्य पार्षद गुंजन सिंह ने बताया कि बरसात में शहर बाढ़ जैसी समस्या से लगातार रूबरू होता रहा है।मुख्य कारण जलनिकासी के लिए बने नालों का वर्षों से सफाई नहीं होना था।नाला कचड़ा और गाद से भरा पड़ा है,जिसके कारण नाले की गहराई के अनुरूप बहने वाले पानी का जलस्तर ऊपर की ओर आ जाने से हल्के बरसात में भी सड़क पर पानी आ जाता है।यही कारण है कि बरसात से पहले रात में जहां मुख्य सड़कों और भीड़भाड़ वाले इलाके में नाले की उड़ाही का काम होता है,वहीं रात में भी सैकड़ों मजदूरों को लगाकर उड़ाही का काम करवाया जा रहा है,जिससे इस साल शहरवासियों को बाढ़ से निजात मिल सके।

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