अमृत काल का यह बजट रोजगार सृजित करने वाला बजट है:दीपक प्रकाश
अमृतकाल का ये पहला बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करने वाला तथा भगौलिक दृष्टि से सभी क्षेत्रों का विकास करने वाला बजट है। यह बजट ऐसे समय मे आया है जब पूरी दुनियां में आर्थिक व्यवस्था तार तार हो गया है। ये बातें आज भाजपा झारखंड़ प्रदेश के अध्यक्ष सह राज्य सभा सांसद दीपक प्रकाश ने रांची महानगर आयोजित केंद्रीय बजट पर चर्चा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अथिति के रूप में बोलते हुए कही।
श्री प्रकाश ने कहा कि इस बजट में समाज के सभी वर्ग किसान,मजदूर,युवा,महिला,जनजाति,आदिम जनजाति,गरीब,मध्यम वर्ग तथा वंचितों को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इस बजट का देश के किसी भी वर्ग के लोगों ने इसकी आलोचना नही की यह इस बात का द्योतक है कि यह बजट सर्वग्राही और सर्वसमावेशी है।
पूंजीगत व्यय से रोजगार सृजित होगा
श्री प्रकाश ने कहा कि इस बजट में पूंजीगत व्यय पर ज्यादा खर्च करने की योजना है। 2022-23 में पूंजीगत व्यय का परिव्यय चालू वर्ष के 5.54 लाख करोड़ रुपये से 35.4% बढ़कर 7.50 लाख करोड़ रुपये हो गया। केंद्र सरकार का ‘प्रभावी पूंजीगत व्यय’ 10.68 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो जीडीपी का लगभग 4.1% है। बजट का 4 % राशि का खर्च सड़क, एयरपोर्ट, रेलवे,मेट्रो,जलमार्ग, बिजली,शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करने की योजना है। यह व्यय भारत के विकास को नई ऊर्जा और तेज गति देगा। ये निवेश, युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगा, एक बहुत बड़ी आबादी को आय के नए अवसर उपलब्ध कराएगा
श्री प्रकाश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि देश को ऐसा मजबूत विज़न वाला नेतृत्व मिला है कि आज कोरोना काल मे जहां अन्य देशों की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है वही भारत की आर्थिक व्यवस्था 10 वें स्थान से छलांग लगाकर दुनियां की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
राज्य के विकास में मदद के लिए बजट में प्रावधान
श्री प्रकाश ने कहा कि मोदी की सरकार संघीय ढांचे को मजबूत बनाने की दृश्टिकोण से राज्यों को अधिक राजकोषीय स्थान प्रदान करने वाली है। चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों में बजट अनुमानों में 10,000 करोड़ रुपये से 15,000 करोड़ रुपये तक पूंजी निवेश के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता के लिए योजना का परिव्यय बढ़ाया गया है। अर्थव्यवस्था में समग्र निवेश को उत्प्रेरित करने में राज्यों की सहायता के लिए 2022-23 में 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन: सामान्य उधारी के अलावा पचास साल का ब्याज मुक्त ऋण देने की योजना है इस बजट में।
इस बजट में राज्यों को जीएसडीपी के 4% के राजकोषीय घाटे की अनुमति दी जाएगी, जिसमें से 0.5% बिजली क्षेत्र में खर्च करने पड़ेंगे।
सीमांत किसानों की आय दोगुनी करने की योजना
श्री प्रकाश ने कहा कि मोदी जी के प्रयास से आज दुनिया इंटरनेशनल मिलेट ईयर मना रही है। भारत में मिलेट्स के अनेक प्रकार हैं। पूरी दुनिया में मिलेट पॉपुलर हो रहा है, तो उसका सर्वाधिक लाभ भारत के छोटे किसानों को मिलेगा। अब इस सुपर-फूड को श्री-अन्न की नई पहचान दी गई है। इससे देश के छोटे किसानों, हमारे आदिवासी भाई-बहन जो किसानी करते हैं, उनको आर्थिक सम्बल मिलेगा और देशवासियों को एक स्वस्थ जीवन मिलेगा।
झारझंड को अनेक लाभ मिलेंगे इस बजट से
श्री प्रकाश ने कहा कि राज्य की हेमन्त सोरेन की हमेशा किस प्रकार पर आरोप लगाती है झारखंड को केंद्र सरकार मदद नहीं करती है लेकिन आप लोगों को जानकर ताज्जुब होगा कि भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार कांग्रेस की तुलना में कहीं ज्यादा ठंड झारखंड को देने के काम करती है 2009- 2014 तक यूपीए की सरकार ने झारखंड को 35 हज़ार 998 करोड़ रुपये दी थी वहीं भाजपा की सरकार 2014 से 23 तक इसमें 149% की बढ़ोतरी करके कुल 89 हज़ार 648 करोड रुपये झारखंड दे चुकी है। कांग्रेस की सरकार ने 2013-14 में झारखंड को मात्र 869 करोड़ रुपये दी थी वही मोदी की सरकार ने 2022-23 में 33 हज़ार 779 करोड़ रुपये दी है। वर्तमान मोदी सरकार ने झारखंड को 2022-23 में ग्रांट के रूप में 17 हज़ार 422 करोड़ रुपये दी है जबकि यूपीए की सरकार में 2013-14 में यह राशि थी रु 465 करोड़ मात्र।
श्री प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार बार बार कहती है कि केंद्र सरकार झारखंड की बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपया का भुगतान करे। उन्होंने कहा कि यह राज्य का बकाया आजादी के बाद से अब तक बाकी है। उन्होंने कहा कि जब माननीय शिबू सोरेन जी कोयला मंत्री थे और कांग्रेस के साथ मिलकर केंद्र में सरकार चलाते थे उस वक्त उन्होंने यह बकाया क्यों नही मांगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राज्य का कोई भी बकाया नही रखा है।
उन्होंने कहा कि इस बजट से झारखंड के जनजाति समाज के लोगों को फायदा होगा। 750 एकलब्य विद्यालय में से 97 एकलब्य विद्यालय झारखंड को मिलेगा। जहां जनजाति समाज के गरीब बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इन विद्यालयों में 38 हजार शिक्षकों की बहाली की जाएगी। देश के आदिम जनजाति समाज लोगों की शिक्षा,स्वास्थ्य, सड़क तथा अन्य उत्थान के लिए 15 हज़ार करोड़ का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने आदिवासी समाज को पहचान दिलाने तथा आगे बढ़ाने के लिये कार्य किये। केंद्र में अलग से जनजाति मंत्रालय बनाया,झारखंड को एक अलग राज्य बनाया,समाज के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया,जनजाति गौरव दिवस घोषित किया,संथाली भाषा को 8 वीं अनुसूची में शामिल करवाया,तथा जनजाति समाज की एक महिला को देश की सबसे सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर बिठाया।