गंगा का जलस्तर बढ़ा दर्जनों गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से टूटा

साहिबगंज
साहिबगंज जिले में गंगा इन दिनों उफान पर है। गंगा के जलस्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण साहिबगंज सदर प्रखंड के लाल बथानी मखमल पुर उत्तर मखमल पूर्व दक्षिण किशन प्रसाद रामपुर सहित लगभग 2 दर्जन से अधिक गांव का संपर्क शहर से टूट गया है।
साहिबगंज सदर प्रखंड के हाजीपुर लाल बथानी किशन प्रसाद को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर किशन प्रसाद दियारा से आगे आर ई ओ सड़क पर बना पुलिया की ऊंचाई सड़क से लगभग तीन से चार फीट ऊंची है। ऐसे में गंगा का जलस्तर बढ़ते ही पुल के दोनों तरफ गंगा का पानी भर जाता है। गंगा का पानी आ जाने के कारण मुख्य मार्ग जो जिला मुख्यालय से जोड़ती भी है से संपर्क टूट जाता है। स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत के क्रम में पता चला की यह स्थिति लगभग 12 – 15 वर्षों से बनी हुई है।
स्थानीय मुखिया वाहिद अली का कहना है कि इस सड़क पर जलजमाव से आसपास के 25 से अधिक गांव प्रभावित होते हैं जिसको लेकर पूर्व में भी सांसद और विधायकों से शिकायतें की जा चुकी है। जिला प्रशासन से भी इस सड़क को ऊंचा कराने की मांग को लेकर कई बार गुहार लगाया जा चुका है बावजूद इसके स्थिति यथावत बनी हुई है। लगभग प्रतिवर्ष मखमल पुर उत्तर मखमल पुर दक्षिण लाल बथानी किशन प्रसाद रामपुर आदि क्षेत्रों को इस भयावह स्थिति का सामना करना पड़ता है।
ज्ञात हो कि साहिबगंज जिला में इस बार अनावृष्टि के कारण जिले के किसानों की फसल लगभग नष्ट हो चुकी है। जिले में सुखार राहत कार्य हेतु आवेदन लिए जा रहे हैं। ऐसे में अचानक से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाने से किसानों पर दो तरफा माल पर रही है एक और बुखार के कारण फसल नष्ट हो चुके हैं दूसरी ओर बाढ़ ने बेघर करने पर मजबूर कर दिया है।
रामपुर दियारा क्षेत्र से सैकड़ों की संख्या में मवेशियों के साथ जल मार्ग को पार करते हुए सुरक्षित स्थान पर जाने वाले किसान धीरेंद्र यादव बताते हैं की जान माल की सुरक्षा के लिए उन्हें अन्यत्र ले जाकर सुरक्षित स्थानों पर रखना हम लोगों की नियति बन चुकी है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि किसानों के हित की बात करने वाली राज्य और केंद्र सरकार को साहिबगंज जिले के दियारा क्षेत्र आखिर क्यों नहीं दिखाई पड़ते हैं। मुख्य मार्ग पर लगभग 3 से 3 .5 फीट तक गंगा का जल प्रवाहित हो रहा है।
आलम यह है के सड़क को पार करने के लिए ग्रामीणों द्वारा लगभग ₹20000 खर्च करके वैकल्पिक पुल का निर्माण किया जा रहा है। यह पुल स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बांस और प्लाई से तैयार किए जा रहे हैं। ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि हर साल इस मार्ग की स्थिति यही रहती है यहां पुल पर पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक पुल का निर्माण गांव वालों के सहयोग से किया जाता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब मुख्य सड़क पर इस पुलिया का निर्माण किया जा रहा था तो पुलिया के साथ सड़क की ऊंचाई को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया। आखिर क्यों सड़क और पुल के बीच लगभग 3 फीट का अंतर कायम है। क्या इसके लिए तत्कालीन अभियंता जिम्मेवार नहीं है जिनकी वजह से लगभग 30000 की आबादी हर साल प्रभावित हो रही है।
जबकि अगर देखा जाए तो अभी बाढ़ की शुरुआत मात्र है अभी अगर दर्जनों गांव जिला मुख्यालय से संपर्क में नहीं रहे तो अगर गंगा अपना रौद्र रूप लेती है तो साहिबगंज प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों का क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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