गरीबों को ही उजाड़ने की निति बंद करे: नायक

रांची: एचईसी प्रशासन अतिक्रमण हटाने की नीति में पारदर्शिता लाए और सिर्फ गरीबों को ही उजाड़ने की नीति बंद करे ।एक आंख मे काजल और एक आंख मे सुरमा वाली नीति चलने नही दीया जायेगा ।
उपरोक्त बाते गुरुवार को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही। उन्होंने कहा कि चाहे गरीब हों या अमीर, सबके खिलाफ समान कार्रवाई होनी चाहिए।
HEC, रांची की जमीन पर कई दशकों से लोग बसे हुए हैं, जिनमें से अधिकांश गरीब और मजदूर वर्ग के हैं। ये लोग अक्सर अनौपचारिक बस्तियों या झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। दूसरी ओर, कुछ प्रभावशाली लोग, जैसे स्थानीय दबंग, व्यापारी, या रसूखदार, ने भी HEC की जमीन पर बड़े निर्माण (जैसे दुकानें, गोदाम, या स्थायी मकान) किए हैं। ऐसे मे सिर्फ गरीब गुरबा को ही अतिक्रमण के नाम पर हटाना सामाजिक न्याय नही है ।
श्री नायक ने साफ शब्दो मे कहा कि बराबर यह
देखा गया है कि गरीब बस्तियों को प्राथमिकता के साथ अतिक्रमण के नाम पर निशाना बनाया जाता है, जबकि बड़े और प्रभावशाली लोगो को अतिक्रमण से बचे रहते हैं।
श्री नायक ने आगे कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है। यदि HEC या प्रशासन चुनिंदा रूप से केवल गरीबों के अतिक्रमण हटाता है और प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों को छोड़ देता है, तो यह कानून के समान अनुपालन में भेदभाव ही माना जाएगा । भारतीय दंड संहिता और भूमि अतिक्रमण अधिनियम के तहत सभी अतिक्रमणकारियों पर समान कार्रवाई होना चाहिए। यदि मजबूत अतिक्रमणकारियों को छूट दी जाती है, तो यह कानून के दुरुपयोग को दर्शाता है जिसे अब बर्दाश्त नही किया जाएगा । इन्होने यह भी कहा कि
गरीब लोग, जो HEC की जमीन पर दशकों से रह रहे हैं, अक्सर उनके पास कोई वैकल्पिक आवास या आजीविका का साधन नहीं होता। उनकी झुग्गियों को तोड़ना उन्हें बेघर और आजीविका से वंचित करना सही नही है । गरीब लोग, जो आजादी के समय से या दशकों से HEC की जमीन पर रह रहे हैं, उन्हें “अतिक्रमणकारी” मानना अन्यायपूर्ण है। उनके लिए वैकल्पिक पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना हटाना मानवीय संकट पैदा करता है।

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