पवित्रम गो सेवा परिवार का 25 अगस्त को स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम

रांची : प्रत्येक माह की भांति इस माह 25 अगस्त दिन बृहस्पतिवार शुभ मुहूर्त को पवित्रम गो सेवा परिवार द्वारा पवित्रम सेवा धाम कोयला नगर धनबाद, पवित्रम स्वदेशी प्रचार केंद्र लिलुआ हावड़ा एवं अन्य स्थानों पर बच्चों को स्वर्ण प्राशन औषधि प्रातः 8:00 से 9:00 तक पिलाई जाएगी। पवित्रम गो सेवा परिवार के झारखंड प्रांतीय संयोजक अजय भरतिया एवं प्रांतीय मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने कहा है कि पुष्य नक्षत्र में सुवर्ण प्राशन एक अत्यंत शुभ प्रक्रिया है जो कि शिशु के शारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक है क्योंकि सुवर्णप्राशन के द्वारा ही शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है। पुष्य नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में सर्वाधिक शुभ नक्षत्र है और यही वजह है कि इस नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव होते हैं लेकिन देव गुरु बृहस्पति को इसका अधिष्ठाता देवता माना जाता है। जब चंद्रमा अपनी दैनिक गति से अपनी कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो कर्क राशि में 3 अंश 40 कला से 16 अंश 40 कला तक पुष्य नक्षत्र का विस्तार होता है। इस नक्षत्र को पोषण करने वाला माना जाता है और इस नक्षत्र में औषधि ग्रहण करना ईश्वर के वरदान सदृश्य है। सुवर्णप्राशन हिंदू धर्म का एक प्रमुख संस्कार है जो कि आज के समय में और भी अधिक महत्वपूर्ण है। पुष्य नक्षत्र कैलेंडर के द्वारा सुवर्णप्राशन की सही तिथि को जाना जा सकता है। सुवर्णप्राशन में शिशुओं को शुद्ध स्वर्ण भस्म से युक्त मधु एवम विभिन्न मेधा वर्धक ओज वर्धक आयुष्य प्रदायक औषधियों से वैदिक रीति से निर्मित स्वर्ण प्राशन नामक औषद्धि भारत मे चटाई जाती थी लेकिन पिछले 300 सालों में यह ज्ञान लुप्त हो गया था । जिसे पुनः कुछ महान वैद्यो ने जीवंत किया है। यह शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सुवर्णप्राशन संस्कार पुष्य नक्षत्र में किया जाना सर्वाधिक उपयुक्त होता है। यदि यह संस्कार गुरु पुष्य नक्षत्र या रवि पुष्य नक्षत्र में किया जाए तो और भी अधिक शुभ होता है।

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