पारस हॉस्पिटल में नौ साल के बच्चे का हुआ सफल इलाज
रांची: एचइसी स्थित पारस हॉस्पिटल, धुर्वा के डॉक्टर संजीव कुमार शर्मा ने कोडरमा के रहने वाले नौ साल के मरीज का सफल इलाज किया। उस बच्चे को लगातार मिर्गी के दौरे आ रहे थे। कई माह से मनोचिकित्सक व्यवहार के कारण लोगों से गाली गलौज करना, कपड़े खोल देना, मारना, जोर जोर से चिल्लाना आदि कर रहा था। इसका इलाज बाहर के हॉस्पिटल में चल रहा था। इसके बाद उस मरीज के परिजनों ने पारस हॉस्पिटल के न्योरोलॉजी डॉ संजीव कुमार शर्मा से संपर्क किया। डॉ संजीव ने उनका इलाज प्रारंभ किया। जांच के बाद मरीज में ऑटोइम्यून एन्सेफ़ेलाइटिस चिन्हित हुआ। ऑटोइम्यून एन्सेफ़ेलाइटिस एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से मस्तिष्क पर हमला करती है. इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है, जिससे कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं। एंटी-एनएमडीए रिसेप्टर एन्सेफलाइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो तब होती है जब शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी मस्तिष्क में एनएमडीए रिसेप्टर्स पर हमला करती है। एनएमडीए रिसेप्टर्स प्रोटीन होते हैं जो मस्तिष्क में विद्युत आवेगों को नियंत्रित करते हैं। उनके विघटन से कई न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं। यह परीक्षण मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) में एनएमडीए रिसेप्टर के खिलाफ आईजीजी एंटीबॉडी का पता लगाता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास का तरल पदार्थ है। एक माह के इलाज के बाद बच्चा पुरी तरह स्वस्थ है। बच्चे को किसी भी तरह की परेशानी नहीं है।डॉ संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि इस बीमारी में कुछ ऐसे एंटी बॉडी बनते हैं, जो अपने ब्रेन को डैमेज करते हैं। जिसमें एनएमडीए एक मुख्य कारण होता है। जिसमें मरीज को साइकेट्रिक व्यवहार होते है। मरीज मानसिक संतुलन खो देता है और मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। इसमें एमआरआइ की जांच में 30 से 40 प्रतिशत मरीज का रिपोर्ट नॉर्मल आता है। इस मरीज में एमआरआइ टेस्ट का रिपोर्ट नॉर्मल आया था। पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफ़ी (पेट) सिटी ब्रेन में कुछ एनके फ्लाइ टेस्ट के लक्षण थे। इसको एनएमडीए एंटी बॉडी पॉजीटिव आया। इसके बाद इलाज प्रारंभ किया गया। मरीज अब नॉर्मल जिदंगी जी रहा है।पारस हॉस्पिटल के फैसिलिटी निदेशक डॉ नीतेश कुमार ने कहा कि पारस हॉस्पिटल में कई क्रिटकल बीमारियों का इलाज अनुभवी डॉक्टरों और उनकी टीम की ओर से किया जा रहा है। कई ऐसे मरीज हॉस्पिटल आते हैं, जिसका इलाज कई अन्य हॉस्पिटल नहीं कर पाते हैं। कोडरमा का रहने वाला बच्चा का भी केस बहुत ही क्रिटकल था। पारस हॉस्पिटल में उनका इलाज हुआ और अब वह ठीक है एवं सामान्य जीवन बिता रहा है।