स्थानीय भाषा का विकास एवं शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के सफल प्रयास : उपायुक्त

खूंटी :  उन्नत भारत अभियान के तहत आईआईटी  दिल्ली द्वारा आयोजित वेबिनार में डीसी शशि रंजन ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किया। 
मौके पर उपायुक्त द्वारा खूंटी जिले के संदर्भ में विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी दी गई। साथ ही उन्होंने जनजातीय विकास के विषयों पर भी अपने विचार साझा किए।
उन्होंने बताया कि खूंटी झारखंड के आकांक्षी जिलों में से एक है। उन्होंने कहा कि खूंटी जिला धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली है। उलिहातू में धरती आबा का जन्म हुआ था। भारतीय इतिहास में भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे जिन्होंने अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। भगवान बिरसा मुंडा सही मायने में पराक्रम और सामाजिक जागरण के धरातल पर तत्कालीन युग के एकलव्य थे। आदिवासी इतिहास के प्रमुख दिग्गज जैसे श्री जयपाल सिंह मुंडा, श्री गया मुंडा एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बीच, खूंटी को एक अमूल्य ऐतिहासिक पहचान बनाने वाला जिला कहा जा सकता है। जनजातीय के रूप में आबादी के एक बड़े हिस्से के साथ, एक जिले के रूप में खूंटी ने एक लंबा सफर तय किया है।

इस दौरान उपायुक्त द्वारा मुंडा व जनजातीय परंपरा, पहनावा, विवाह, खेल, कृषि आदि के सम्बंध में बताया गया। उन्होंने विशेषतः मुंडा जनजाति व परम्पराओं पर प्रकाश डाला एवं अन्य जनजातियों के विकास के सम्बंध में भी आवश्यक जानकारियां साझा की।

उपायुक्त द्वारा खूंटी जिले के सम्बंध में विस्तार पूर्वक जानकारी साझा की गई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सशक्त ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीणों के विकास की राह प्रशस्त हुई है।
उन्होंने बताया कि परम्पराओं और सभ्यताओं का विकास भी समुदाय का विकास है। यहां कई त्योहार पारंपरिक रूप से मनाएं जाते हैं इनमें मागे, फागु, करम, सरहुल और सोहराई आदि। उन्होंने बताया कि किस प्रकार प्रकृति की पूजा और उपासना का महत्व है। सरहुल आदिवासियों का मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि वसंत में मनाया जाता है। पतझड़ के बाद पेड़ पौधे खुद को नए पत्तों और फूलों से सजा लेते हैं, आम के पेड़ में मंजर लगते हैं सरई और महुआ के फूलों से वातावरण सुगंधित हो जाता है। सरहुल प्रकृति को समर्पित है।

इस दौरान उपायुक्त द्वारा समाज मे व्याप्त कुरीतियों व कुप्रथाओं के सम्बंध में भी विशेष चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दयान कुप्रथा एक अभिशाप के भाँती है।
जिले को डायन कु-प्रथा से मुक्त करने के उद्देश्य से पंचायत स्तर पर कैडर का चयन व पीड़ितों की काउंसलिंग की जा रही है। सखी मंडल सदस्यों के माध्यम से 336 लाभार्थियों को चिह्नित किया गया है। इसके साथ ही अन्य सामजिक समस्याओं के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है।

■ *ढुकु विवाह और लिव इंग रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को पहचान दिलाने की सार्थक पहल– उपायुक्त*

उपायुक्त द्वारा बताया गया कि आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में ढुकू प्रथा को बढ़ावा मिलता है, जो लिव इन रिलेशनशिप में रहने की परंपरा है। ये जोड़े बिना किसी कानूनी/सामाजिक पहचान के एक साथ रहते हैं। निमित्त संस्था के सहयोग से 2016 से अब तक लगभग 1950 जोड़ों के कानूनी विवाह की व्यवस्था करके उन्हें कानूनी पहचान देने और उन्हें सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित कराने के लिए सार्थक पहल के गयी है।

बगैर सामाजिक धार्मिक रीति रिवाज के लिव-इन मे रहने वाले परिवारों को गांव में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता था। ऐसे में असुरक्षा की भावना में महिलाओं को मानसिक तनाव के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में जागरूकता हेतु हर स्तर पर सम्भव प्रयास किये गए हैं।
 समाज की इन कुरीतियों की वजह से इन जोड़ों को बिना शादी किए साथ रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। दांपत्य संबंध से समाज में मान्यता नहीं मिल पाती, जिससे जीवन भर इन जोड़ों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा नुकसान गांव की महिलाओं एवं बच्चों को उठाना पड़ रहा है। साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं से भी वह वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि इन्हें सभी प्रकार के सहयोग उपलब्ध कराए जा सके।

उपायुक्त द्वारा बताया गया कि खेल के क्षेत्र में खूंटी जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। खूंटी हॉकी में निक्की प्रधान, माइकल किंडो, सिल्वेनस डुंग डुंग जैसे कई खेल दिग्गजों ने अपना परचम लहराया है, जिनमें से सभी ने श्री जयपाल सिंह मुंडा (मारंग गोमके) से प्रेरणा ली। उनकी जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 3 जनवरी को हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन उनके जन्मस्थली टकरा में किया जाता है। खूंटी फुटबॉल और एथलेटिक्स से संबंधित आयोजनों का भी केंद्र है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि इसी प्रकार खेल के क्षेत्र में भी युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करने के प्रयास जारी हैं।

उपायुक्त द्वारा बताया गया कि सुदूर क्षेत्र के ग्रामीण जो जानकारी के आभाव में कई लाभ से वंचित रह जाते हैं उन्हें जागरूक करने की दिशा में कई नवोन्मेषी प्रयास किये गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में आमजनों को जागरूक करने एवं शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से ग्राम सभा व अन्य माध्यमों से वृहद स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए। इन प्रयासों के सफल परिणाम भी सामने आए हैं।

इसके अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा जनजातीय समुदाय के अधिकारों व अन्य बिंदुओं पर भी विचार साझा किए गए। उन्होंने बताया कि अधिकारों के प्रति भी सजग रहने की आवश्यकता है। सुदूर क्षेत्र के वैसे लोग जो दिग्भ्रमित विचारों से प्रभावित होकर सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे थे उन्हें जागरूक करते हुए मुख्यधारा से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि अंतिम व्यक्ति तक सरकार की कल्याणकारी योजनाएं पहुंचे एवं समाज में व्यापक परिवर्तन प्रदर्शित हो सके।
IIT दिल्ली द्वारा आयोजित वेबिनार में उपायुक्त के साथ PD, ITDA, आंध्रा प्रदेश सरकार, श्री गोपालाकृषणा रोनाकी(IAS) एवं श्री Vadrevu Ch Veerabhadrudu, IAS (Regd.) द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किए गए।

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