उत्क्रमित मध्य विद्यालय चानन के छात्र-छात्राओं को मिली सच बोलने की सजा

साहिबगंज
साहिबगंज जिले के बोरियो अंचल स्थित साहिबगंज नगर पालिका क्षेत्र के चानन गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय चानन के छात्र-छात्राओं को सच बोलने की सजा मिली। उत्क्रमित मध्य विद्यालय चानन से वर्ग 8 में झारखंड शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित परीक्षा में कुल 51 छात्र उपस्थित थे परंतु परिणाम घोषित होने के बाद विद्यालय के सभी 51 छात्र का परिणाम मार्जिनल आया। यहां स्पष्ट कर दे कि मार्जिनल का अर्थ 33 प्रतिशत से नीचे का अंक होता है।
इस संबंध में विद्यालय के छात्र छात्राओं ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व विद्यालय की स्थिति का जायजा लेने की मीडिया कर्मी पहुंचे हुए थे। जिन्होंने छात्र छात्राओं से भी बात की थी। इन छात्र छात्राओं का कहना है कि हम सभी ने उस समय मीडिया कर्मी के समक्ष विद्यालय की वास्तविक स्थिति का चित्रण कर दिया जिसमें मध्यान भोजन योजना में गड़बड़ी एवं शिक्षा की व्यवस्था शून्य बताई गई थी।
मीडिया कर्मी के जाने के बाद से ही तत्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापिका मीणा कुमारी के द्वारा हम सभी छात्र छात्राओं को याद धमकी दी जाती थी कि मीडिया वाले तो अब चले गए अब तुम लोगों का जो होगा वह तुम लोग थी भोगना। उस समय हम लोगों को यह नहीं पता था कि प्रभारी प्रधानाध्यापिका हम लोगों के जीवन के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ करेगी।
ज्ञात हो कि झारखंड अभी विद परिषद द्वारा नई व्यवस्था के तहत वर्ग 8 की परीक्षा जैक द्वारा आयोजित की गई थी जिसमें विद्यालय से भी छात्रों का अंक भेजा जाना था। परंतु उत्क्रमित मध्य विद्यालय चानन से किसी भी विद्यार्थी का विद्यालय का अंक नहीं भेजा गया जिसके कारण सभी विद्यार्थी का परिणाम मार्जिनल कर दिया गया।
इस संबंध में पूछे जाने पर वर्तमान प्रभारी प्राचार्य दिनेश प्रसाद पासवान ने बताया कि उसने 22 अगस्त को प्रशाल के रूप में पदभार ग्रहण किया है इससे पूर्व विद्यालय की प्रधानाचार्य के रूप में मीणा कुमारी पदासीन थी। जितनी भी गड़बड़ी हुई है सभी पूर्व के प्रधानाचार्य के द्वारा की गई है। वर्ग अष्टम के वर्ग शिक्षक राजेश कुमार के अनुसार सभी छात्र छात्राओं का अंक तैयार कर लिया गया था परंतु तत्कालीन प्रधानाचार्य के द्वारा समय पर सूचना नहीं उपलब्ध करा पाने के कारण छात्र-छात्राओं का अंक जैक कार्यालय को नहीं प्रेषित किया जा सका।
बारहहाल कारण चाहे जो भी रहा हो परंतु विद्यालय के 51 छात्र छात्राओं का भविष्य निश्चित रूप से विद्यालय की मनमानी रवैए के कारण दाव पर लगा है। तो क्या सच में इन बच्चों के दावों में सच्चाई है। क्या इन बच्चों को सच बोलने की ही सजा मिली है। आखिर क्यों सरकारी नौकरी पाने के बाद लोग स्वयं को सर्व सर्व मान लेते हैं। क्या इन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का इन्हें अधिकार प्राप्त हो जाता है। ऐसे ही कई सवाल है जिनका जवाब निश्चित रूप से विद्यालय को देना होगा। अब देखना है कि विद्यालय पर अथवा गलती करने वाले शिक्षिका पर विभाग क्या कार्रवाई करता है।

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