सिल्क सिटी भागलपुर की ब्युटी में आएगा निखार,40 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा सिल्क पार्क

भागलपुर। गंगा के दक्षिणी तट पर बसा भारत का सिल्क सिटी यानी रेशम शहर शहर भागलपुर। जिसे पहले भगदतपुरम के नाम से जाना जाता था। अपने विशिष्ट रेशम के लिए प्रसिद्ध है। रेशम की यह विशेष किस्म यानी टसर रेशम, अपनी अंतर्निहित चमक, मजबूती और हवादार बनावट के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुकी है। अपनी चमक और सौंदर्य से विश्वभर में प्रसिद्ध भागलपुरी सिल्क यानी सिल्क सिटी की सुंदरता में अब निखार आएगा। भागलपुर में 40 करोड़ की लागत से सिल्क पार्क बनने जा रहा है।

     साम्प्रदायिक हिंसा के बाद भागलपुर (नाथनगर) का सिल्क उद्योग संकटग्रस्त हो गया था। 1989 की भागलपुर हिंसा दो समुदाय के बीच हुई थी। हिंसा 24 अक्टूबर 1989 को शुरू हुई और हिंसक घटनाएं 2 महीने तक जारी रहीं, जिससे भागलपुर शहर और उसके आस-पास के 250 गांव प्रभावित हुए थे। हिंसा के परिणामस्वरूप 1,000 से अधिक लोग मारे गए जिनमें से लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए। आज भी इसकी याद से लोग सिहर उठते हैं। 

       बुनकरों की जीवन रेखा थम चुकी थी और दर्जनों करघों में घुन लग चुके थे। सिल्क पार्क के निर्माण की खबर से बुनकर समाज में खुशी की लहर है और व्यापार से जुड़े लोग भी गदगद हैं। जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक खुशबू कुमारी बताती हैं कि यह भागलपुर के लिए बड़ी उपलब्धि है। डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसकी स्वीकृति मिल गई है। इससे रेशमी शहर के बुनकरों को एक छत के नीचे बुनाई, रंगाई, बिक्री और मार्केटिंग की सुविधाएं मिलेंगी।

     40 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला सिल्क पार्क राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भागलपुरी सिल्क को फिर से एक नई पहचान दिलाएगा। सिल्क पार्क में बुनकरों को बुनाई, रंगाई, बिक्री और मार्केटिंग की सुविधाएं मिलेंगी। सिल्क पार्क के निर्माण को सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर भागलपुरी सिल्क को फिर से पहचान मिलेगी। यह सिल्क पार्क जीरोमाइल स्थित उद्योग विभाग की जमीन पर बनेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके लिए दो अलग-अलग योजनाओं से 40 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। सिल्क पार्क के लिए 20 करोड़ रुपये एमएसएमई सीडीपी योजना से और बाकी 20 करोड़ रुपये सिल्क समग्र योजना से मिलेंगे। जल्द ही सिल्क पार्क को लेकर केंद्रीय मंत्रालय की टीम निरीक्षण करेगी, जिसके बाद डीपीआर तैयार की जाएगी।

    यहां बुनकरों के लिए कच्चा माल, पावरलूम और हैंडलूम पर कपड़ा तैयार किया जा सकेगा। इसका लाभ जिले के करीब डेढ़ लाख से अधिक बुनकरों, कत्तीन, रंगरेज, डाईंग, फिनिशिंग का काम करने वालों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा। केंद्र में सेक्शनल वार्मिंग मशीन, कोन से पर्न की मशीन, धागा रंगाई के लिए मशीन उपकरण, पर्न वाइंडिंग मशीन, स्किल डेवलपमेंट के लिए रैपियर लूम और इलेक्ट्रॉनिक जैकार्ड और कंप्यूटर एडेड टेक्सटाइल डिजाइन आदि का समावेश होगा। वेविंग के क्षेत्र में ज्यादा चौड़ाई और स्पीड के लिए रैपियर लूम की सुविधा मिलेगी। इलेक्ट्रॉनिक जैकार्ड लगाने और कंप्यूटर एडेड टेक्सटाइल डिजाइन सॉफ्टवेयर एवं ट्रेनिंग की व्यवस्था होगी।

   वहीं तैयार कपड़ों के लिए बॉटिक प्रिंट, मार्बल प्रिंट, डिस्चार्ज प्रिंट, स्क्रीन प्रिंट, डिजिटल प्रिंट, कंप्यूटरीकृत एंब्रॉयडरी मशीन आदि की व्यवस्था होगी। सिल्क पार्क के संचालन को लेकर कंपनी एक्ट के तहत स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) का गठन किया जाएगा। इसमें 5 से 8 लोगों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एवं सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा और कंपनी एक्ट के तहत उसका पंजीकरण कराया जाएगा। इसी बोर्ड के माध्यम से सिल्क पार्क की व्यवस्था का संचालन होगा। सिल्क पार्क में सामान्य सुविधा केंद्र की तर्ज पर कपड़ा रंगाई से लेकर फिनिशिंग तक की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। एक छत के नीचे सारी सुविधाएं होंगी, जिससे बुनकरों को कम लागत में रंगाई और अन्य सुविधाएं मिलेंगी।

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