स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्रभारी सचिव अपने आदेश को तत्काल वापस ले: राम प्रकाश तिवारी

रांची: झारखंड गैर सरकारी स्कूल संचालक संघ की आवश्यक बैठक सोमवार को हरमू के कार्मल स्कूल में हुई। बैठक में झारखंड राज्य के 24 जिलों से गैर मान्यता प्राइवेट स्कूल संचालक गण शामिल हुए। बैठक का मुख्य मुद्दा था झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा झारखंड गैर सरकारी स्कूल संचालक संघ के याचिका डब्लू पी (सी) नं. 6097/2019 में दिनांक 23.8 2023 को पारित स्टे ऑर्डर के बावजूद स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के शिक्षा सचिव संजय कुमार के 10 दिसंबर 2024 के पत्र के आलोक में झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह के द्वारा 24 दिसंबर 2024 को सभी गैर मान्यता यू डायस प्राइवेट स्कूलों को झारखंड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009-10 के तहत 26 26 दिसंबर 2024 से लेकर के 15 जनवरी 2025 के अंदर सभी प्राइवेट स्कूलों को ऑनलाइन प्रपत्र वन जमा करने के लिए आदेश जारी किया,जब पोस्ट खोला जाता है तो उसमें दिखाया जाता है कि झारखंड निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार प्रथम संशोधन नियमावली 2019 कानून के तहत फॉर्मेट बना हुआ है। इस आधार पर मान्यता लेने का आदेश दिया गया है।जबकि झारखंड उच्च न्यायालय में उपरोक्त याचिका लंबित है उसके बावजूद भी शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश पर संघ की बैठक में विचार विमर्श किया गया, झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के
द्वाश अवमानना किया गया है। बैठक में सभी उपस्थित सदस्यों ने आम सहमति से झारखंड उच्च न्यायालय में उक्त शिक्षा सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका फाइल करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने कहा कि झारखंड में बिना यू डायस के करीब डेढ़ लाख प्ले स्कूल और प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं और लगभग 58 00 लगभग यू-डायस गैर मान्यता
प्राइवेट स्कूलों को मान्यता लेने का जो आदेश दिया गया है। वह झारखंड उच्च न्यायालय के स्टे आर्डर का उल्लंघन है, याचिका का लंबित है, सरकार झारखंड उच्च न्यायालय की फैसले का इंतजार भी नहीं किया, अभी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों को फिर से आवेदन प्रपत्र वन जमा करने का ऑनलाइन आदेश किया जो गलत है। सरकार बिना सत्य सभी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों को निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009-10 के तहत मान्यता दे।संघ के सचिव अजय शंकर कुमार ने कहा प्राइवेट स्कूल संचालक गण लाखों गरीब आदिवासी दलित पिछड़े मुस्लिम ईसाई सिख जैनी बच्चों को पढाने का काम करते हैं शिक्षा देने का काम कर रहे हैं कोई अपराध नहीं है लेकिन सरकार सबको अपराध बोध करा रही है। अपनी कार्रवाई को रोके। मान्यता प्रक्रिया को रोक लगाये।
बैठक में सर्वश्री उपाध्यक्ष शंभू वर्णवाल, तालकेश्वर केसरी, अक्षय सिंह, नंदकिशोर झा, अशोक मेहता, विमल महतो, इत्यादि सैकड़ो सदस्य गण उपस्थित थे।

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