संजय जायसवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग को खड़ा किया कठघरे में
पटना : बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने आदर्श आचार संहिता को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने पटना के गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र बांटने, गया में गंगा जल आपूर्ति योजना का शुभारंभ किए जाने पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या यह आचार संहिता के दायरे में आता है? यदि हां तो फिर क्या कार्रवाई की गई? और यदि नहीं तो फिर राज्य के सांसद-विधायकों को जिलाधिकारी इसका हवाला क्यों देते हैं?
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट करके वीडियो भी शेयर किया है। राज्य निर्वाचन आयोग को सरकारी बाबूओं का दफ्तर बनाने का आरोप लगाया है। कहा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को नगर में 6 महीने पुरानी सड़कों का भी उद्घाटन करना होता है तो डीएम हमें नियम समझाने लगते हैं और कहते हैं कि आदर्श आचार संहिता लागू है। यही नहीं 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के कार्यक्रम करने में भी आचार संहिता के नाम पर रोक दिया जाता है। इधर सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और सभी विभागों के सचिव खुलेआम पटना के गांधी मैदान में पुरानी नौकरियों को नया बताकर नियुक्ति पत्र बांटते हैं। गया जी में नल जल योजना का सार्वजनिक उद्घाटन करते हैं। सभा करते हैं। लेकिन इस और आयोग का ध्यान नहीं है।
आयोग बताए, किस नियम के तहत बांट रहे नियुक्ति पत्र
डा. जायसवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा है कि यदि सांसद या विधायक आदर्श आचार संहिता के कारण कोई कार्यक्रम नहीं कर सकते तो फिर सीएम, डिप्टी सीएम, प्रधान सचिव किस नियम के तहत नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं। नदी जल योजना का उद्घाटन कर रहे हैं। क्या यह नगर में लगे आदर्श आचार संहिता के तहत नहीं आता। अगर आता है तो सीएम और डिप्टी सीएम पर आयोग ने FIR क्यों नहीं की गई। यदि यह उस दायरे में नहीं आता तो सांसद-विधायकों को क्यों इसका पाठ पढ़ाया जाता है। अंत में उन्होंने अंधेर नगरी, चौपट राजा वाली लोकोक्ति लिखी है।