अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया पहली बार 80 रुपये के पार पहुंचा
मुंबई : भारत का रूपये तेजी से गिरजा जा रहा है.अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया इतिहास में पहली बार 80 रुपये के पार पहुंच गया। मंगलवार को बाजार खुलते ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में सात पैसे गिर गया और अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर 80.05 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। बता दें कि सोमवार को रुपया 15 पैसे की गिरावट के साथ रिकॉर्ड लो 79.97 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
इससे पहले सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी कि 2014 से 2022 के बीच रु डॉलर के मुकाबले 25% से ज्यादा कमजोर हुआ है। जानकारों के अनुसार विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार से पैसा वापस निकालना रुपये में गिरावट का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा कच्चे तेल पर अधिक खर्च भी सरकारी खजाने में सेंध लगा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कुछ दिन के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में सुधार स्थानीय मुद्रा के लिए कुछ राहत की बात रही है। वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आयात महंगा होने तथा वस्तुओं का निर्यात कमजोर रहने से चालू खाते के घाटे की स्थिति खराब हो सकी है। रुपया टूटने से देश का चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ने की आशंका और विदेशी कोषों की निकासी की वजह से अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 80 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक निचले स्तर के पास आ गया है।
बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, भारतीय रुपया साल के अंत तक 81 प्रति डॉलर तक टूट सकता है। इस साल अब तक भारतीय रुपया 9% से अधिक टूट चुका है। डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल कीमतों में तेजी ने रुपया को कमजोर करने का काम किया है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ा है। डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और लोहा व इस्पात शामिल हैं। रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट आने से इन वस्तुओं