झारखंड में डेयरी उद्योग के मामले में अव्वल है रांची, 7128 लोग कर रहे दुग्ध उत्पादन
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत झारखंड को 821.57 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है ताकि राज्य में बेहतर दुग्ध उत्पादन हो सके। इसके अलावा किसान व अन्य दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहन देने के लिए 6.25 लाख रुपए की स्वीकृति ऋण के रूप में दी गई है। इसके अलावा देवघर, कोडरमा, लातेहार और रांची के विभिन्न डेयरी प्लांट और सेंट्रल लैब की स्थापना, दूध जांच केंद्रों की स्थापना भी की गई है। इसकी जानकारी केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने लोकसभा में दी। रांची के सांसद संजय सेठ ने झारखंड में डेयरी उद्योग को लेकर लोकसभा में सवाल उठाया था। उसी के जवाब में मंत्री ने बताया कि भारत सरकार तीन प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने में लगी हुई है ताकि अधिक से अधिक दुग्ध का उत्पादन हो सके।
भारत सरकार की मदद से झारखंड सरकार ने 7 करोड़ रुपए की लागत से पलामू में और 7.25 करोड़ रुपए की लागत से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इससे झारखंड में दूध उत्पादकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। जून 2022 तक की जानकारी के अनुसार पूरे झारखंड में सबसे अधिक दूध उत्पादक रांची जिले में है। रांची जिले में 7128 दूध उत्पादक दूध से जुड़े व्यवसाय कर रहे हैं। वही लोहरदगा में 3344 दुग्ध उत्पादक इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। इस मामले में सरायकेला साबित हुआ है। वहां सिर्फ 13 लोग इस तरह के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं जबकि हजारीबाग में 1556 लोग दुग्ध उत्पादन से जुड़कर झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव दूध उत्पादक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। झारखंड में कुल मिलाकर 22051 लोग इस उद्योग से जुड़कर बेहतर उत्पादन कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में और भी बेहतर हो, इसके लिए सरकार प्रयासरत है। वहीं सांसद संजय सेठ ने भारत सरकार दूध उत्पादकों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है। राज्य सरकार बेहतर समन्वय बनाकर काम करें तो झारखंड दूध उत्पादन में अव्वल साबित हो सकता है।