समाज में शांति व सदभावना के लिए राजयोग जरूरी,ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी

सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरिय विश्वविद्यालय सिमराही बाजार के तत्वधान में नव वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में विश्व शांति, सदभावना व भाईचारा विषय पर स्थानीय ओम शांति केन्द्र में भव्य स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत रूप में संस्थान के स्थानीय सेवा केन्द्र प्रभारी बबिता दीदी, समाजसेवी भूपेंद्र यादव ,डॉ बीरेन्द्र प्रसाद साह, प्रभात कुमार महासेठ,प्रदीप महासेठ,रागिनी देवी,अधिवक्ता रामचन्द्र जायसवाल, डा शशिभूषण चौधरी, इंद्रदेव चौधरी,मंजू देवी फूल देवी,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादियो ने दीप प्रज्वलित और केक कटिंग करके शुभारम्भ किया।
अपने उदबोधन देते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के राघोपुर सिमराही क्षेत्रिय प्रभारी राजयोगिनी बबीता दीदी जी ने कहा की नई वर्ष में हम सभी नई सोच ,संकल्प जीवन को सुरु करे। उन्होने कहा परमपिता परमात्मा आप सभी को सुबह की पहली किरण से शुरु होने वाले नये साल 2025 में सुख , शांति, शक्ति, सम्पति, स्वरुप, शालीनता,संयम, सादगी, सफलता, समृध्दि, साधना, संस्कार, यश व बहुत अच्छा स्वास्थ्य दें। गौरतलब हो कि साल 2025 की हार्दिक शुभ कामनाऐं।उन्होंने कहा कि एक आदर्श समाज में नैतिक ,सामाजिक व आध्यात्मिक मूल्य प्रचलित होते हैं। नैतिक मूल्यों को हमें सम्मान करना चाहिए। मूल्य शिक्षा द्वारा ही बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। नैतिक मूल्यों की धारणा से आंतरिक शक्तियों का विकास होता है।वहीं आत्मबल, मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों से युक्त जीवन ही सभी को पसंद होता है। सद्गुणों की धारणा से ही हम प्रशंसा के पात्र बन सकते हैं। उन्होंने का कहा कि मूल्य ही जीवन की सुंदरता और वरदान है। जीवन में धारणा किए हुए मूल्यों ही हमारे श्रेष्ठ चरित्र की निशानी है ।मूल्यों को जीवन में धारण करने की हमारे मन में आस्था निर्माण करने की आवश्यकता है। दीदी जी ने बताया कि आध्यात्मिकता ही सद्गुणों का स्रोत है ।जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नहीं अपनाते हैं तब तक जीवन में मानवीय नैतिक मूल्य नहीं आ सकते है।
मुख्य अतिथि समाजसेवी भूपेन्द्र यादव ने कहा लोग शरीर पर तो ध्यान देते हैं। लेकिन इस शरीर को चलाने वाली आत्मा को बलिष्ठ और विकसित करने पर ध्यान नहीं देते। आत्मा को शक्तिशाली करने का उपाय राजयोग ,ध्यान का अभ्यास ही है ।उन्होंने कहा कि लोगों को आज शांति की बहुत जरूरी है।
ब्रह्माकुमारी बीना दीदी जी ने अपने उदबोधन देने कहा की राजयोग के नित्य अभ्यास से ही हमारा मनोबल व आत्मबल बढ़ता है। राजयोग द्वारा हम सच्चे सुख शांति की अनुभूति कर तनावमुक्त बन सकते हैं ।चांद ,सूर्य ,तारा गन से पार रहने वाले परमपिता को मन बुद्धि से याद करना ,उनके गुणों का गुणगान करना ,उनके बताए हुए मार्ग पर चलना ही वास्तव में राजयोग है।
डॉ प्रभात कुमार रंजन जी ने अपने उदबोधन देते हुए कहा कि विज्ञान समाप्त हो जाता है। वहां पर योग का बल काम करता है। यह विज्ञान से कहीं गुना आगे है। उन्होंने ओम शब्द के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शब्द प्रदर्शित करता है कि ईश्वर एक ही है और वह किसी धर्म के लिए अलग नहीं है ।योग के बल पर धर्म और मजहब में मकड़जाल से छूट समाज एकजुट हो सकता है ।उन्होंने ब्रह्माकुमारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह परमात्मा का सत्य परिचय जाकर हमारी जीवन बदल गया।
स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन करते अपने उदबोधन देते हुए कहा सभी दुखों एवं समस्याओं का मूल देह अभिमान हैं।देहअभिमान के कारण ही काम, क्रोध, लोभ ,मोह ,अहंकार,ईर्ष्या, नफ़रत, आलस्य इत्यादि मनोविकार वश हो गया है।
उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर डा पी के रंजन, बता तो भाग कुमार मंजर प्रदीप महा सेठ रागिनी देवी फूल देवी, ब्रह्माकुमारी बिना वहन, शिव कुमारी देवी, रूपा बहन,अरुण जयसवाल ,डॉ शशि भूषण चौधरी,अधिवक्ता रामचन्द्र जायसवाल, परमेश्वरी सिंह यादव,दीपक भाईजी, इंद्रदेव भाईजी ,संदीप पंसारी, मंजू देबी,सत्यनारायण भाई, कृष्णा भाई , वीरेंद्र भाई , ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी, बबीता दीदी, बिना बहन , रूपा बहन, शिव कुमारी देवी इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।अंत में सभी को ब्रह्मा भोजन व प्रसाद ग्रहण करके कार्यक्रम संपन्न किया।

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