राजेश ठाकुर को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर किसी आदिवासी चेहरा को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए: आलोक दूबे
रांची: प्रदेश कांग्रेस से निलंबित कांग्रेस के वरीय नेता आलोक दूबे,किशोरनाथ शहदेव,राजेश कुमार गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की कार्यशैलियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए उन्हें अविलंब अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की है।
साथ ही उनके जगह पर किसी आदिवासी चेहरे को अध्यक्ष की कमान सौंपने की बात कही है। वे रविवार को स्टेट गेस्ट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति एक पद कांग्रेस पार्टी का हमेशा से ही यह सिद्धांत रहा है।उदयपुर चिंतन शिविर 2022 में भी इसे संकल्प के रूप में दोहराया गया और पार्टी के अंदर एक व्यक्ति एक पद को सख्ती से लागू करने की बात कही गई।
राजेश ठाकुर अध्यक्ष रहते हुए झारखंड सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त किया और राज्य सरकार में शामिल हो गए। सरकार की ओर से एक मंत्री के रूप में मिलने वाली सारी सुविधाओं का लाभ भी ले रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने उतरे तो सर्वप्रथम उन्होंने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दिया और पार्टी के सिद्धांतों का पालन किया। हमारे प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में हमने 2019 के विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ बड़ी सफलता हासिल की। जनता के आशीर्वाद से हम बहुमत की सरकार बनाने में सफल हुए। लेकिन उन्हें भी एक व्यक्ति एक पद के मातहत पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव को इसी सिस्टम का हवाला देकर राजेश ठाकुर ने आरपीएन सिंह के साथ मिलकर साजिश किया और अध्यक्ष बने। वर्तमान अध्यक्ष का मंत्री का दर्जा प्राप्त करना और उसका लाभ लेना एवं प्रदेश अध्यक्ष के रुप में बने रहना पार्टी नियम के विरुद्ध तो है ही संगठन के लिए बोझ भी है और अगर यह कहा जाए कि पार्टी का इस्तेमाल सिर्फ अपने लिए कर रहे हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।नियमत: तो उन्हें मंत्री का दर्जा प्राप्त करते ही अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए था। लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया जो उनके स्वार्थ को दर्शाता है। झारखण्ड के लाखों कार्यकर्ताओं की ओर से पार्टी हाईकमान से हम मांग करते हैं उन्हें अध्यक्ष पद से हटाते हुए किसी आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी जाए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा पिछले कई महीनों से यह चर्चा आम रही है कि राज्य सरकार में बोर्ड/ निगम /आयोग में महागठबंधन में शामिल दलों के पार्टी कार्यकर्ताओं को स्थान दिया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता विधायक दल के सुझाव पर पार्टी हाईकमान द्वारा इसकी सूची मुख्यमंत्री को सौंप दिया गया है, लेकिन जो संभावित नाम सूची में शामिल है उसकी चर्चा होते ही पार्टी में बवाल शुरू हो गया है, क्योंकि बोर्ड निगम आयोग में स्थान दिए जाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए कोई मापदंड नहीं तय किया गया है। दूसरे दल से आए हुए लोग,गणेश परिक्रमा में माहिर लोग और जनाधार विहीन लोगों को इसमें स्थान दिये जाने की बात सामने आ रही है, क्षेत्रवार और सामाजिक संतुलन का भी ध्यान नहीं रखा गया है। हम पार्टी हाईकमान से यह भी मांग करते हैं बोर्ड निगम आयोग के गठन के पूर्व उसके लिए चयनित पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक मापदंड बनाया जाए।
मंत्रिपरिषद के गठन में एक मापदंड (Creteriya) तय किया गया जिसमें 2 बार से ज्यादा चुनाव में विजय हासिल हुए विधायक मंत्री बनाऐ जाऐंगे और उस श्रेणी में जो विधायक आये कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने उन्हें मंत्री बनाया,और किसी को कोई नाराजगी भी नहीं हुई क्योंकि पहली बार 16 विधायक चुनाव जीत कर आये थे और 4 ही मंत्री बनाया जाना था,अगर मापदंड, नहीं बना होता और मुंह देखकर मंत्री बनाया गया होता तो पार्टी में टूट होती बगावत होता।मैं मानता हूं कि राजेश ठाकुर अपरिपक्व नेता हैं जिन्हें संगठन चलाने का कोई तजुर्बा नहीं है और जिस सिस्टम से वे यहां तक पहुंचे हैं उसी व्यवस्था के मातहत चलना पसंद करेंगे। लेकिन दुखद ये है कि अविनाश पाण्डेय एवं आलमगीर आलम को संगठन चलाने का लम्बा अनुभव का इतिहास रहा है,अगर इन दोनों के रहते भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी होती है तो यह पार्टी के लिए कष्टकारी एवं आत्मघाती होगा।
कांग्रेस जनों ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष बोलते हैं कि जिसने मेरी सेवा की है अगर ऐसे व्यक्ति को बोर्ड निगम नहीं दे पाया तो मेरी राजनीति बेकार है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने कहा प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति द्वारा पिछले दिनों कारवाई कर हम चार नेताओं को निलंबित किया गया जबकि उस दौरान लगभग हर जिले में मारपीट,गाली गलौज,पुतला दहन हुए थे, लेकिन कार्रवाई प्रदेश अध्यक्ष ने सिर्फ हम चार को टारगेट किया,क्योंकि एक दिन के बाद एआईसीसी सदस्य की सूची जारी होनी थी और जिस तरह से हम लोगों ने सदस्यता अभियान के तहत लाखों लोगों को पार्टी से जुड़ा था हमारा भी एआईसीसी सदस्य में चयन होना निश्चित है,क्योंकि जब हमें पीसीसी डेलीगेट बनाया गया था प्रदेश अध्यक्ष को यह नागवार गुजरा और इसलिए इसके पूर्व ही प्रदेश अध्यक्ष ने हम पर कार्रवाई कर एआईसीसी नहीं होने दिया।इतना ही नहीं फरवरी माह में रायपुर अधिवेशन में पीसीसी डेलीगेट होने के नाते भाग लेने के लिए आवेदन किया था लेकिन यहां भी व्यक्तिगत प्रतिशोध में प्रदेश अध्यक्ष ने लिखित तौर पर हमें अधिवेशन में भाग लेने से मना कर दिया आप सभी को मालूम है कि पार्टी से और भी लोग निलंबित हैं लेकिन प्रभारी और अध्यक्ष दोनों ही ऐसे नेता और विधायकों के साथ न सिर्फ मंच साझा करते हैं बल्कि उनके मदद से कार्यक्रम की सफलता भी सुनिश्चित करत हैं। प्रतिशोध की राजनीति यहीं खत्म नहीं होती है।हम तीनों नेताओं को सुरक्षा कारणों से पिछली सरकार द्वारा ही जिला प्रशासन ने अंगरक्षक दिया था जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को बोलकर वापस करा दिया।
डॉ गुप्ता ने कहा हम सभी के राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यक्रम लगातार होते रहते हैं, कई अवसर पर जिला से बाहर भी जाना पड़ता है और देर रात भी हो जाया करते हैं,यदि ऐसे में हमारे जानमाल का कोई नुकसान हुआ तो इसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर जिम्मेदार होंगे। आज भी बोर्ड निगम आयोग के गठन की चर्चा पर रांची सहित लगभग सभी जिलों में विरोध के स्वर उठ रहे हैं, अनुशासन समिति के अध्यक्ष ब्रजेन्दर प्रसाद सिंह ने भी सरकार को भला बुरा कहते हुए धनबाद जिला के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, अनुशासन समिति के दूसरे सदस्य शमशेर आलम ने भी रामगढ़ उपचुनाव के परिणाम के लिए सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफे की मांग कर चुके हैं।अनुशासन का डंडा इन लोगों पर क्यों नहीं चलता है, इससे साफ पता चलता है कि प्रदेश अध्यक्ष व्यक्तिगत दुश्मनी निकाल रहे हैं। झारखंड की राजनीति में प्रतिशोध की राजनीति की शुरुआत एक खतरनाक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है जो सबके लिए नुकसानदायक साबित होगी।