कुलपति अजीत सिन्हा के विरुद्ध जांच संदेह के घेरे मे, राजभवन के पारदर्शिता पर सवाल

रांची : राज्य के लगभग सभी प्रमुख अखबारों ,मीडिया चैनल की रिपोर्ट ने शिक्षा जगत मे खलबली मचा रखी है, मामला है राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा के विरुद्ध विभिन्न वित्तीय अनियमितता के मामले को लेकर राज्यपाल ने जांच के आदेश दिए हैं। यह खबर बिल्कुल सकारात्मक खबर है कि चलिए राज्य के राज्यपाल झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों की बेह्तरीन हेतु चिंतित है । अखबारों के अनुसार राजभवन को राँची विश्वविद्यालय के कुलपति के ख़िलाफ़ कई वितीय अनिमितता के विरुद्ध कंप्लेन प्राप्त हुई थी ,जिस पर राज्यपाल ने जाँच का आदेश दी ।
सवाल यह उठ रही है कि राँची विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल अगले 10 दिनों में ख़त्म होने जा रही है , सूत्रो के अनुसार कुलपति के अगले कार्यकाल की एक्सटेंशन की भी संभावना व्यक्त की जा रही है। इस दौरान ऐसी जाँच की ख़बर संभवतः दुर्भावना से ग्रसित तो नहीं , अगर राजभवन को पहले कंप्लेन आई तो पहले जाँच क्यो नहीं करवाई गई ?? यह सवाल राजभवन की की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करती है ।
हमारे संवादाता को एक ऐसी पत्र हाथ लगी है जो कई सवाल को खड़ा कर रही है , यह पत्र के अनुसार 28 मई 2025 को रांची विश्वविद्यालय के वित्तीय सलाहकार श्री अजय कुमार द्वारा राजभवन के अवर सचिव के नाम पत्र भेजी गई है , जिसमे रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा के विगत 2 वर्षों के कार्यकाल की वित्तीय अनियमितता एवं अन्य के संबंध में जानकारी प्रेषित की गई है । उस पत्र के अनुसार वितीय सलाहकार के रिपोर्ट में साफ़ -साफ़ लिखित जानकारी राजभवन को प्रदान की गई है कि रांची विश्वविद्यालय, रांची में विगत २ वर्षों में किये गए क्रय एवं वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में कुलपति कार्यालय में किए गए वितीय कार्यों में किसी भी प्रकार की वितीय अनिमियतता परिलक्षित नहीं है। वितीय सलाहकार राज्यपाल के द्वारा नियुक्त अधिकारी होते है जो विश्वविद्यालय में वित्तीय संबंधित मामलो पर सलाह देते है एवं नजर रखते है ।
अब इस पत्र के अनुसार डॉ अजीत कुमार सिन्हा पर लगाये गये सभी आरोप निराधार है, सभी आरोप पर जाँच वितीय सलाहकार द्वारा की गई जिसमे वितीय अनियमितता सामने नहीं आई ।
इस रिपोर्ट को 28 मई 2025 को राजभवन भेजी गई उसके उपरांत भी राजभवन द्वारा कुलपति के ख़िलाफ़ जाँच का आदेश देना , यह राजभवन की दुर्भावना को इंगित करती है ।
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा के अनुसार राजभवन के द्वारा अभी तक इनके जांच हेतु कोई पत्र प्राप्त नहीं हुई है ,सिर्फ खबरों के अनुसार से पता चला है कि इनके ऊपर जांच हेतु कमेटी बनाई गई है , कुलपति सिन्हा के द्वारा इस जांच में पूर्ण सहयोग की बात की जा रही है । इनके अनुसार विश्वविद्यालय में छात्र हित, विश्वविद्यालय हित हेतु कई अमूल प्रयास एवं कार्य किये गए है ,जो सबके सामने है। विश्वविद्यालय का सेवा मैंने पूरी निष्ठा से किया है और मौका मिला तो आगे भी करूँगा ।जर्जर ,खंडहर बने भवनों ,कार्यालय की मरम्मत एवं जीर्णोद्धार विश्वविद्यालय के हितार्थ है ,हमारे कार्यों को महामहिम देखे उन्हें बेहद सुखद अनुभूति होगी । हम सारे जांच हेतु तैयार है ।
अब सवाल यह उत्पन्न हो रही है कि राजभवन के द्वारा आखिर किनके कंप्लेंट पर ये सारी जांच की आदेश दी गई है ?
राजभवन को इन सभी कंप्लेंट की सच्चाई अवगत करवानी चाहिए एवं पारदर्शिता अपनानी चाहिए ऐसे में किसी भावना से गर्षित हो कर किसी के द्वारा उलूल जुलूल कंप्लेन कर देने से जाँच होने लगे तो फिर ऐसे में न्याय की उम्मीद करना बेकार है ।

राज्य के पूर्व राज्यपाल श्री सी पी राधाकृष्णन के द्वारा एक आदेश सभी विश्विद्यालय को दी गई थी , जिसमें हर विश्विद्यालय के कुलपति को अपने विश्विद्यालय में किए गए हर महीने की खर्च पूरी जानकारी राजभवन को उपलब्ध करवानी है ,राँची विश्वविद्यालय द्वारा भी हर महीने अपनी मासिक खर्च की जानकारी राजभवन को उपलब्ध करवाई जाती रही है , अगर उसमें कोई वित्तीय गड़बड़िया रही तो उस पर पूर्व में क्यो सवाल नहीं उठाई गई , उस समय राजभवन की नींद क्यो नहीं खुली ? कई सवाल खड़ा करती है ,ये सभी सवाल की जबाब राज्यपाल की निष्पक्षता से देनी चाहिए । राजभवन के द्वारा दी गई जाँच पर कई सवाल उठ रहे है , जो राजभवन की कार्यप्रणाली पर सवाल उत्पन्न कर रही है ।

पिछले दिनों राजभवन के अपर मुख्यसचिव श्री नितिन मदन कुलकर्णी के ऊपर वितीय अनिमितता, राजभवन के सम्पत्ति का दुरुपयोग, विनोद विहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति में गड़बड़ी समेत कई मामले की शिकायत जिला सेशन जज एवं राज्यपाल के पूर्व ओएसडी नयायिक श्री मुकुलेश चंद्र नारायण द्वारा की गई थी , कई अखबारों एवं मीडिया ने प्रमुखता से इस खबर को प्रकाशित भी किया । इतना ही नहीं नितिन मदन कुलकर्णी के श्यामा प्रसाद मुखर्जी में बतौर प्रभारी कुलपति के रूप में कार्यकाल में भी कई वितीय अनियमितता के जांच हेतु एक सामाजिक संगठन द्वारा प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई थी ,पत्र के माध्यम से ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष श्री राजेश कुमार गुप्ता के द्वारा इनके कार्यकाल की जांच की मांग की गई थी ।परंतु उन सभी मामले पर राज्यपाल की चुप्पी और जांच का आदेश ना देना , राजभवन पर सवालों का घेरा खड़ा करती है , आखिर एक जज एवं सामाजिक संगठन की कंप्लेन को इग्नोर करना , यह राजभवन की पारदर्शिता एवं राज्यपाल के द्वारा कोई करवाई ना करना न्यायसंगत व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है । देखते है राजभवन की नींद कब खुलती है ,कुलपति अजीत सिन्हा पर कंप्लेंट की जाँच तो शुरू हो गई एवं राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव पर लगे आरोप पर अभी तक कोई कारवाई ना करना , राज्यपाल के क्रियाकलाप पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *