पद्मश्री मधुबनी पेन्टिंग के शिल्पगुरु महान कलाकार गोदावरी दत्ता का निधन
मधुबनी पेंटिंग को अर्श से फर्श तक पहुंचाने वाली शिल्प गुरु और पद्म श्री सम्मान से सम्मानित महान कलाकार गोदावरी दता का बुधवार को निधन हो गया। गोदावरी दता का जन्म 1930 में दरभंगा के बहादुरपुर प्रखंड में हुआ था। मधुबनी के राटी गांव उनका ससुराल था। शिल्प गुरु गोदावरी दता बचपन से ही कलाकार थी और पेंटिंग करती आ रही थी। लेकिन जब वे अपने ससुराल आई तो यहां एक से बढ़कर पेंटिंग कलाकार थी। यह माहौल और परिवार का भरपूर सपोट मिलने से गोदावरी दता अपने कुची को और धारदार बनाती चली गई। देखते देखते उनका नाम मधुबनी पेंटिंग के बड़े कलाकारों में शुमार होने लगा। कचनी में उन्हें महारत हासिल था। देश के कोने-कोने में शिल्प गुरु गोदावरी दता की कला और पेंटिंग की प्रशंसा होने लगी। बाद में वे जापान जर्मनी इंग्लैंड सहित कई देशों की यात्रा की । जापान के मिथिला म्यूजियम में आज भी गोदावरी दता की पेंटिंग आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। देश का ऐसा कोई प्रदेश नहीं जहां ये नहीं गई हों और सम्मान पायी हो। लगभग तीन दर्जन से अधिक राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। उपेन्द्र महारथी संस्थान पटना से इन्हें शिल्प गुरु पुरस्कार से नवाजा गया था। पद्म श्री सम्मान इन्हें थोड़ा विलम्ब 2019 में राष्ट्रपति द्वारा दिया गया था। 93 वर्षीय गोदावरी दता मधुबनी पेंटिंग की महान कलाकार थी और देश विदेश में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री स्व इन्दिरा गांधी से इन्हें अत्यधिक आत्मीयता थी और अनेकों बार इनकी मुलाकात हुई थी। बुधवार को जब इनके निधन की खबर लोगों को मिला तो राटी स्थिति इनके आवास पर पार्थिव शरीर का दर्शन करने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। मधुबनी के डीएम अरविंद कुमार वर्मा और एसपी सुशील कुमार उनके आवास पर पहुंचकर पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बिहार के मुख्यमंत्री और राज्यपाल सहित दर्जनों मंत्री और नेता इन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। देर शाम सम्मान के साथ शिल्प गुरु का संस्कार कर दिया गया। मुखाग्नि उनके एक मात्र पुत्र ने दी। गोदावरी दता के परिवार में एक से बढ़कर एक कलाकार आज भी हैं जो देश के महानगरों में रहकर इस कला को पंख दे रहे हैं। अब थोड़ा राटी गांव की बात कर लेते हैं। यह गांव मिथिलांचल का प्रसिद्ध गांव है। यहां सबसे पहले महान कलाकार स्व महासुन्दरी देवी को पद्म श्री सम्मान मिला था। फिर गोदावरी दता और अंत में महासुन्दरी देवी के सानिध्य में रहकर पेंटिंग कला सिखने वाली मछुआरिन को यह सम्मान प्राप्त हो चुका है। मधुबनी चित्रकला संस्थान की घोषणा महासुन्दरी देवी के घर से हीं उनके आग्रह पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। आज मधुबनी सहित समस्त मिथिलांचल पद्म श्री गोदावरी दता के निधन से मर्माहत तो है ही राटी जो इनका कर्म भूमि रहा है वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।