ओटीपीएम जीपीआरएस कंपनीयां साइबर ठगी के माध्यम से ग्राहकों को लगा रही है चुना
अनूप कुमार सिंह:पटना।अगर आप ओटीपीएम जीपीआरएस की सेवा ले रहे हैं।तो सावधान हो जाइए। बिहार व अन्य राज्यों में कई ग्राहकों के साथ साइबर क्राइम हो चुका है। देश की दो जीपीआरएस सेवा प्रोवाइड करने वाली कंपनी मैच पॉइंट व लैस ट्रैक ओटीपीएम कंपनी है। जिसमें ग्राहकों को सेवा जारी रखने के लिए बार-बार मोबाइल पर आने वाले ओटीपीएम का इस्तेमाल करना पड़ता है। कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं। जिसमें साइबर ठगो ने इन कंपनियों के ओटीपीएम का क्लोन तैयार कर, ग्राहकों से ओटीपी लेकर उनके खाते से लाखों रुपए की ठगी कर चुके हैं। क्योंकि यह कंपनियां अपने नेटवर्किंग सिस्टम के माध्यम से अपनी सेवा प्रोवाइड करती हैं ऐसे में साइबर क्राइम के शिकार होने के बाद ग्राहक डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर के ऊपर दबाव बनाते हैं।वहीं प्राथमिक भी दर्ज होती है।मूल कंपनी तक ग्राहकों की पकड़ नहीं होती। जबकि उनके डीलर डिस्ट्रीब्यूटर जो स्थानीय स्तर पर हैं।ग्राहक ठगी के शिकार होने के बाद उनके ऊपर दबाव बनाते हैं। साइबर क्राइम से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं,कि सबसे सुरक्षित तरीका यह है कि सरवर से डायरेक्ट कंपनी यूजर आईडी देती है। जिसमें खतरा न के बराबर होता है। यानी कंपनी से जब ग्राहक जीपीआरएस की सेवा लेता है। तो कंपनी अपने आईडी से ग्राहक को सीधे यूजर आईडी देता है। जिसमें साइबर क्राइम का खतरा न के बराबर होता है। मोबाइल से उसका कोई कनेक्शन नहीं होता ।मेल आईडी से वह जुड़ा होता है। जबकि ओटीपीएम सीधे मोबाइल से जुड़ा होता है। यूं तो देश में कई सारी बड़ी कंपनियां हैं ।जो जीपीएस की सेवा बेच रही है।लेकिन लेट्स ट्रैक गुड़गांव दिल्ली तथा मैच प्वाइंट मुंबई दो ऐसी कंपनियां है। जिनकी सेवाओं में सबसे ज्यादा त्रुटि देखने को मिल रही है।यह कंपनियां बार-बार ग्राहकों को ओटीपी भेजती है।जिसका फायदा साइबर ठग उठाते हैं। साइबर ठगी के शिकार होने के बाद ग्राहक इन कंपनियों के स्थानीय विक्रेताओं और डीलर के ऊपर प्राथमिक दर्ज करते हैं। बिहार,यूपी पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,तमिलनाडु, महाराष्ट्र में कई सारे ऐसे मामले देखने के बाद साइबर विशेषज्ञ बताते हैं कि ओटीपीएम लॉगिन वाला सिस्टम ग्राहक व विक्रेताओं दोनों के लिए खतरनाक है। इसीलिए वे ग्राहक जागरूकता अभियान के तहत ग्राहकों को ऐसी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों की सेवा से दूर रहने का सुझाव दे रहे हैं ।जिन दो बड़ी कंपनियों पर अधिकांश मामले दर्ज हुए हैं।उनके सर्वर का क्लोन साइबर क्राइम करने वाले तैयार करते हैं।फिर ग्राहक के मोबाइल का पूरा डाटा ट्रांसफर हो जाता है। जिसमें बैंक डिटेल से लेकर वीडियो ईमेल फोटो तक शामिल होता है। इस पूरे मामले के तहकीकात करने पर कई ऐसे चौंकाने वाले जानकारियां मिली हैं। जो ग्राहकों को जानना जरूरी है।दोनों कंपनियों पर कई राज्यों में इस तरह के दर्जनों मामले दर्ज हैं।