बिजली खरीदने के पैसे नहीं, पर सलाह लेने में 15 करोड़ उड़ाए अफसरों ने
झारखंड में उपभोक्ताओं का बिजली छुड़ा रही पसीना, फिर भी बिजली वितरण निगम का कम नहीं हुआ शाही ठाट
रवि भारती
रांचीः झारखंड के लगभग 47 लाख उपभोक्ताओं के पसीने छुड़ाने में बिजली बोर्ड कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। रांची सहित सभी जिले में छह से आठ घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है। भीषण गर्मी में बिजली रानी के इस रंग ने त्राहिमाम मचा रखा है। लेकिन बिजली वितरण निगम के शाही ठाठ में कोई कमी नहीं हुई है। खुद बिजली वितरण निगम की लेटेस्ट ऑडिट रिपोर्ट के आंकड़े बता रहे हैं कि निगम का प्रशासनिक खर्च 33.92 करोड़ रुपए बढ़ गया है। जो प्रशासनिक खर्च 181.13 करोड़ था, वह बढ़कर 215.03 करोड़ हो गया है।
झारखंड बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई बार एक्शन प्लान बना। कई बार 24 घंटे बिजली देने के वादे किए गए। सलाह पर सलाह लिए गए। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के एवज में जो सलाह लिए गए, उसमें लगभग 15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। कानूनी पेंच सुलझाने में 4.34 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
क्षेत्र भ्रमण के नाम पर चार करोड़ खर्च..
अफसरों ने क्षेत्र भ्रमण के नाम पर खूब वाहनों से भी सैर की। बिजली व्यवस्था तो नहीं सुधरी लेकिन फील्ड वीजिट के नाम पर चार करोड रुपए खर्च कर दिए गए। वहीं गाड़ियों पर 2.60 करोड़, प्रिंटिंग व स्टेशनरी में डेढ़ करोड़, विज्ञापन में 38 लाख रुपए खर्च किए गए।
टेलीफोन से बात करने पर खर्च हुए तीन करोड़…
अफसरों ने फीड बैक लेने या अपने सहयोगियों से बात करने में जमकर टेलीफोन से बात की। इसके एवज में तीन करोड़ रुपए खर्च किए गए। किराया में 57 लाख रुपए खर्च किए गए। तकनीकी फीस के रूप में 20 लाख रूपए का भुगतान किया गया। इंश्योरेंस में 21.50 लाख और प्रोफेशनल चार्ज के रूप में 52 लाख रुपए खर्च किए गए।

