अब सरकारी दफ्तरों में नहीं चलेगी मंत्रियों के प्राइवेट पीए की ठसक

गया:अक्सर मंत्रियों के बाह्य सचिवों की हनक मंत्रियों से अधिक देखी जाती है। वास्तव में सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में व्यवस्थाओं को सुगम बनाने के लिए ही मंत्रियों को बाह्य सचिव रखने की अनुमति दी जाती है। किंतु अक्सर राजनीति में लोग अपनी सीमा पार कर जाते हैं। ऐसा ही आए दिन बिहार में हो रही थी। मंत्रियों को बाह्य अर्थात निजी सचिव ने केवल राजनीतिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों को तय करते थे बल्कि सरकारी विभागों में भी ऊपर से लेकर नीचे तक में सीधी दखल देते थे। हाल में ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा शिक्षा मंत्री के बाह्य सचिव नंद किशोर यादव की दखलंदाजी के बाद उन्हें उनकी हद बताते हुए निदेशालय में भौतिक रूप से प्रवेश पर भी सीधा प्रतिबंध लगाने का लिखित आदेश जारी कर दिया गया था।
अब इन्हीं बाह्य सचिवों की बेवजह दखलंदाजियों पर लगाम कहते हुए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के हवाले से मुख्य सचिव ने एक आदेश जारी कर दिया है। अब बाह्य सचिव किसी भी सरकारी विभाग अथवा कार्यालय में की संचिकाओं अभिलेखों का अवलोकन कार्यक्रमों को समीक्षा जैसे कार्य नहीं कर सकेंगे। मंत्रियों के सभी प्रकार के सरकारी कार्यालय से संबंधित कार्यों को उन्हें सरकार की ओर से दिए गए आप्त सचिव ही संपादित करेंगे जो प्रशासनिक सेवा के अधिकारी स्तर के होते हैं।
लंबे अरसे के बाद सरकार के इस आदेश का क्या राजनीतिक असर होगा!यह आने वाला समय ही बताएगा।

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