अधिकांश कोचिंग संस्थान बच्चों का भविष्य गढ़ते नहीं, पूरी तरह से बिगाड़ रहे हैं: आलोक दूबे

रांची: पब्लिक स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि ज्यादातर कोचिंग संस्थानें बच्चों का भविष्य गढ़ते नहीं बल्कि पूरी तरह से बिगाड़ रहे हैं,बच्चों का भविष्य बनाने से दूर दूर तक इनका कोई लेना देना ही नहीं है।कोचिंग चलाने वाले संचालक बाहर से आकर यहां किराए पर जगह लेते हैं जो शिक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है और हमेशा वहां खतरे का अंदेशा बना रहता है, संचालक कोचिंग संस्थानों के नाम पर पूरी तरह से धंधा कर रहे हैं,शिक्षा का बाजारीकरण और व्यापारीकरण कर रहे हैं ।
आलोक दूबे ने कहा पासवा के अनुरोध पर माननीय मुख्यमंत्री ने राज्य की राजधानी रांची में संचालित सभी कोचिंग इंस्टिट्यूट का जांच प्रारंभ किया है, वहां के भौतिक परीक्षण कराए जा रहे हैं,राज्य सरकार और जिला प्रशासन के द्वारा उठाए गए इस कदम की पासवा प्रशंसा करती है लेकिन साथ ही साथ यह मांग भी करती है जो संस्थाएं शिक्षा के नाम पर छात्रों व अभिभावक का शोषण कर रही है उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए।
पासवा प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कोचिंग संस्थान 9 वीं कक्षा से ही बच्चों को अपने गिरफ्त में ले लेते हैं और एक ऐसा वातावरण तैयार करते हैं कि बच्चों ने अगर कोचिंग संस्थान ज्वाइन नहीं किया तो बच्चे इंजीनियर, मेडिकल ,आईएएस, आईपीएस, रेलवे, बैंकिंग, सिपाही यहां तक की किसी भी प्रकार की परीक्षाएं पास नहीं कर सकते हैं।10 वीं के बाद तो बच्चे स्कूल जा ही नहीं रहे हैं,नन स्कूलिंग कर रहे हैं ,कोचिंग संस्थानों के संचालक बच्चों को अपने इंस्टिट्यूट में रखते हैं,जहां भोजन, बिजली,पानी, की बदहाल स्थिति रहती है, लेकिन डॉक्टर इंजीनियर बनने के बड़े सपने संजोये अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य कोचिंग संस्थानों के हवाले कर देते हैं,
शायद उन्हें नहीं मालूम एक-एक क्लास रूम में ढाई ढाई सौ बच्चों को बैठाया जाता है।

प्रदेश महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कोचिंग संस्थानों के दावों पर अगर गौर किया जाए तो मेडिकल और इंजीनियरिंग की जितनी सीटें हिंदुस्तान में है वह सभी सीट अकेले झारखंड की राजधानी रांची के कोचिंग संस्थानों से भर दी जाती है। होर्डिंग्स, बैनर एवं विज्ञापनों के माध्यम से सभी टॉपर्स के बच्चों की सूची जारी कर अभिभावकों और बच्चों को प्रलोभन दिया जाता है जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है, इनके गलत दावों की कई बार पोल भी खुलती रही है लेकिन इसके बावजूद उनके झूठे दावे की कहानी बदस्तूर जारी है।जो बच्चे उनकी बहकावे में एडमिशन ले लेते हैं, लेकिन जब उन्हें कोई बहुत विशेष लाभ नहीं मिलता है तब वह अपना नामांकन वापस करने के लिए फीस वापस की मांग करते हैं तो न सिर्फ इन्हें अपमानित किया जाता है बल्कि होटल और रेस्टोरेंट की तरह कोचिंग संस्थान भी बाउंसर रखते हैं ताकि छात्रों और अभिभावकों को डराया जा सके।
वहीं पासवा के प्रदेश महासचिव नीरज कुमार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक प्रचारों से बचने की भी अपील झारखंड की जनता से की है, उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चों को स्कूल भेजें,वहां भी अच्छी पढ़ाई होती है, वहां भी अच्छे शिक्षक होते हैं, बच्चे में मेहनत करने की लगन है तो स्कूल में पढ़कर भी वह डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, आईएएस और आईपीएस बन सकते हैं।

पब्लिक स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के महासचिव सह राष्ट्रपति अवार्डी सुश्री फलक फातिमा ने राज्य सरकार से कोचिंग संस्थान चलाने के लिए अविलंब एक नियमावली बनाई जाने की मांग की है,जिसमें संध्या 4:00 बजे से 8:00 बजे तक ही कोचिंग संस्थानों को बच्चे पढ़ने की अनुमति मिलनी चाहिए।पासवा यह भी मांग करती है कोचिंग संस्थानों में तय मानक नहीं है उन्हें किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाना चाहिए।खबरों के अनुसार कोचिंग संस्थानों में भारी अनियमितता पाई गई है, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है।पासवा ऐसे कोचिंग संस्थानों की सूची भी जारी करेगी जो बच्चों के पठन-पाठन के नाम पर पूरी तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

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