मुंगेर में 40 से अधिक निजी अस्पताल चल रहे, वैध सिर्फ 4

रंजीत विद्यार्थी

मुंगेर:अवैध ढंग से एवं मानक के विरूद्ध चल रहे चिकित्सा कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए बिहार नैदानिक स्थापन ( रजिस्ट्रीकरण और विनिमय ) नियमावली मरीजों के हित में वर्ष 2013 में पारित किया गया ।
लेकिन,जिला में विगत कई वर्षों से बिना रजिस्ट्रेशन के अवैध रूप से दर्जनों निजी अस्पताल संचालित हैं। इसके अलावा नर्सिंग होम की आड़ में एक दर्जन से अधिक निजी अस्पताल भी संचालित हैं ।
जबकि बिना निबंधन एवं निबंधन के शर्तों को उल्लंघन करने वाले चिकित्सा संस्थानों के विरूद्ध इस एक्ट के तहत प्रथम बार में उल्लंघन करने पर न्यूनतम 50 हजार रूपये,दूसरी बार में 2 लाख रूपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है ।इस सख्त कानून के बाद भी अवैध चिकित्सा कारोबारी वर्षों से सिस्टम के द्वारा संरक्षित चले आ रहे हैं ।जिसका खुलासा आरटीआई के तहत हुआ है ।
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जिला में मात्र चार निजी अस्पताल निबंधित एवं वैध…

चार माह के अथक प्रयास के बाद सिविल सर्जन ने पत्रांक 889 दिनांक 27 अप्रैल 2022 से आरटीआई एक्टिविस्ट एवं अधिवक्ता ओम प्रकाश पोद्दार को यह जानकारी दी । जिसमें बताया गया कि बिहार नैदानिक स्थापन नियमावली 2013 के तहत जिला में 199 संस्थान औपबंधिक रूप से निबंधित है । जिस में पैथोलॉजी, एक्स रे सेन्टर , सोनोग्राफी , क्लीनिक (होम्योपैथी, आयुर्वेद एवं एलोपैथी) ,डेंटल क्लीनिक, पॉली क्लीनिक,नर्सिंग होम एवं निजी अस्पताल है । इसमें निजी अस्पताल की संख्या चार है। जिसमें समर्पण अस्पताल ( राइसर ) ,जीवन अवतार अस्पताल ( बेकापुर ), जीवन ज्योति अस्पताल ( कुशवाह मार्केट )एवं गीता अर्जुन हेल्थ केयर सेंटर ( बेकापुर ) हैं ।
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नर्सिंग होम की आड़ में वर्षों से चल रहे निजी अस्पताल…

वर्षों से जिला में संचालित कई चर्चित निजी अस्पताल वर्ष 2014 एवं 2015 में कथित तौर पर नर्सिंग होम घोषित कर इस एक्ट के तहत निबंधन करा रखे हैं। जिसकी संख्या एक दर्जन से अधिक है ।इनमें सेवायान, सुरीम्स अस्पताल, आशीर्वाद अस्पताल, नवजात शिशु कल्याण केंद्र, बिहार नेत्रालय,पुस्कल मेडिकेयर , साई आर्थापेडिक सेंटर,रक्षादीप आर्था रिसर्च सेंटर, मुंगेर सर्जरी,केएस मेडिकल एवं रिसर्च सेंटर, वा अन्य है ।
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सिविल सर्जन नियमानुसार अवैध चिकित्सा कारोबारी के विरूद्ध कार्रवाई करें..

आरटीआई एक्टिविस्ट ओम प्रकाश पोद्दार ने 27 अप्रैल 2022 को प्राप्त सूचना के बाद 29 अप्रैल 2022 को शिकायत पत्र दिया। जिसमें उन्होंने सिविल सर्जन पर अपूर्ण एवं भ्रमित सूचना देने का आरोप लगाते हुए वांछित सूचना देने की बात कही । साथ ही साथ जिला में वर्षों से चल रहे दर्जनों अवैध निजी अस्पताल एवं एक दर्जन से अधिक नर्सिंग होम के आड़ में चल रहे निजी अस्पतालों एवं अन्य चिकित्सा कारोबारी के विरूद्ध नियमानुसार न्यूनतम पचास हजार रूपये से दंडित करने का भी निवेदन किया ।
पोद्दार ने बताया कि नियमानुसार कार्रवाई एवं अर्थिक दंड के बाद प्राइवेट चिकित्सा व्यवसाय में व्यापक सुधार एवं मानक के अनुसार मरीजों की सुविधा मिलने की संभावना है ।जो सिविल सर्जन की इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है ।
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मास्टर मांइड है लिपिक अमरदीप कुमार ..
पोद्दार ने आगे बताया कि अधिसूचना 2013 के तहत प्रत्येक तीन माह में वैध एवं अवैध रूप से चिकित्सा सुविधा देने वाले संस्थानों की सूची सिविल सर्जन कार्यालय के द्वारा राज्य परिषद में भेजना अनिवार्य है । लेकिन , सिस्टम में तो वर्षों पूर्व सेंध लगा चुके मास्टर मांइड अमरदीप कुमार है। जो सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित लिपिक है । जिन पर हर सिविल सर्जन मेहरबान रहे हैं । तभी तो सिविल सर्जन कार्यालय में पूर्व में वे कई वर्षों तक प्रतिनियुक्त भी रह चुके हैं और विगत कई वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय की कई महत्वपूर्ण संचिका इन्हीं के जिम्मा है ।जो जांच का विषय है।

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