मिथिला की बेटी सोनी चौधरी को मिला ‘बिहार रत्न सम्मान’, इलाके में हर्ष

कला साधना की कोई उम्र नहीं होती, सच्ची लगन हो तो कामयाबी के हर रास्ते आसान हो जाते हैं। मिथिला की माटी में अनेक ऐसे कलाकार हुए जिन्होंने अपनी कला साधना की बदौलत अपनी मातृभूमि और मातृभाषा का नाम राष्ट्रीय फलक पर उजागर किया। मिथिला की माटी में जन्मी ऐसी ही एक कवियित्री और मैथिली के पारंपरिक गीतों की उम्दा लोक गायिका हैं सोनी चौधरी, जिन्होंने अपनी गायकी से लोगों को न सिर्फ मंत्रमुग्ध किया है, वल्कि भारतवर्ष के हर कोने में मैथिली के आंचलिक परिवेश पर रचित पारंपरिक गीतों की बेहतर प्रस्तुति देकर अपनी गायकी की अमिट छाप छोड़ी है।
हिन्दी एवं मैथिली की प्रसिद्ध गायिका मिथिला की बेटी सोनी चौधरी को मिथिला के पारंपरिक लोकगीतों की बेहतर गायिकी के लिए शनिवार की देर शाम ‘बिहार रत्न सम्मान’ से नवाजा गया। राष्ट्रीय युवा कल्याण परिषद, पटना के तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में उन्हें यह सम्मान संस्था के अध्यक्ष विश्वमोहन चौधरी के हाथों प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान मिलने से मिथिला क्षेत्र में हर्ष का माहौल कायम है। मैथिली के पारंपरिक गीतों की बेहतर गायिकी के लिए वह इससे पूर्व आंकलन एवं कार्य निष्पादन मूल्यांकन परिषद, नयी दिल्ली द्वारा ‘संगीत रत्न सम्मान 2022’ दतिया गुरुकुल (मध्य प्रदेश) द्वारा ‘सुर मधुकर सम्मान’, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा ‘तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान’, मिथिला शिक्षा मंच, समस्तीपुर द्वारा ‘स्वामी विवेकानंद युवा सम्मान’, बिहार शिक्षा एवं सांस्कृतिक विकास परिषद, पटना द्वारा ‘बिहार सम्मान’, महिनाथपुर की संस्था द्वारा ‘संत शिरोमणि लक्ष्मीनाथ गोसाई सम्मान’ आदि अनेक प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
बता दें कि गायिका सोनी चौधरी शुभंकरपुर निवासी, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त हिन्दी विभागाध्यक्ष डा रमाकांत झा की पुत्री एवं नेहरा ग्रामवासी गौड़ीशंकर चौधरी की पुत्रवधु हैं। सम्मान मिलने के बाद सोनी चौधरी ने बताया कि मैथिली के पारंपरिक लोक गीतों की गायिकी के लिए बिहार रत्न सम्मान से सम्मानित होकर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। उनके संस्कार में रची बसी मातृभाषा मैथिली और पारंपरिक लोकगीतों के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति यह सम्मान उत्साह बढ़ाने का काम करेगा।

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