नेता विधायक दल बाबूलाल मरांडी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा पत्र

साहिबगंज- मनिहारी अंतर्राज्य फेरी सेवा मामले में भारतीय जनता पार्टी के नेता विधायक दल व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बिहार के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर मामले से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि घटित हादसे को 5 दिन बीत चुके हैं। यद्यपि अभी दो ही ट्रकों को सफलता पूर्वक निकाला जा सका है और प्रशासन अभी तक इस बात का भी ठीक तरह से पता नहीं लगा पाई है कि आखिरकार गंगा में कितने ट्रक डूबे हैं ? अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग सूचनाएँ प्राप्त हो रही हैं। डूबे ट्रकों और मृत / लापता व्यक्तियों की भी कोई आधिकारिक सूची प्रकाशित नहीं की गई है। निविदा की शर्त कंडिका में स्पष्ट उल्लेख है कि अनुज्ञप्तिधारी अनिवार्य रूप से प्रत्येक ट्रिप में सवार वाहनों की सूची रखेगा। गंगा नदी से निकाला गया एक ट्रक 14 चक्का है तथा एक 16 चक्का, जबकि ऐसे वाहनों का परिचालन सम्पूर्ण बिहार में निषिद्ध है। पानी से निकाले गए दोनों ट्रकों के पंजीकरण संख्या (registration number) को इंटरनेट पर भी अवलोकन किया जा सकता कि वास्तव में इन ट्रकों द्वारा रॉयल्टी तथा जी०एस०टी० का भुगतान किया गया था कि नहीं ? इससे भ्रष्टाचार साक्ष्य-सहित सिद्ध हो जाएगा बचाव और राहत कार्य में भी मनिहारी तथा साहिबगंज प्रशासन की उदासीनता स्पष्ट परिलक्षित हो रही है, आज इतने दिन बीत जाने के बाद भी केवल 2 शव को ही निकाला जा सका है। इस उदासीनता का कारण प्रशासन तथा माफिया गिरोह का गठजोड़ है।

प्रशासन तथा माफिया गिरोह के गठजोड़ को निम्नांकित तथ्य भली-भाँति परिलक्षित करते हैं: 1. अनुज्ञप्ति साहिबगंज नाव यातायात सहयोग समिति को प्राप्त है किंतु अनुज्ञप्तिधारी के बजाय जहाज़, झारखंड सरकार द्वारा संरक्षित, दो अपराधियों द्वारा विधि-विरुद्ध ढंग से चलाया जा रहा था।

  1. ट्रक पर लदे चिप्स की ढुलाई बिना रॉयल्टी और जी०एस०टी० का भुगतान किए किया जा रहा था जिससे सरकारी राजस्व का बड़े पैमाने में क्षरण हो रहा था। मालभाड़ा की वसूली जिला प्रशासन द्वारा तय राशि जो कि प्रति ट्रक अधिकतम रु०3500/- है जिसका पाँच गुना रु० 17000/- वसूल कर चलाया जा रहा था।

3 इस चोरी के एवज में मनिहारी तथा साहिबगंज प्रशासन के शीर्ष अधिकारी वसूली किए गए पैसे के हिस्से का आपस में बंदर-बाँट कर रहे थे।

  1. निविदा के नियमानुसार जहाज़ परिचालन किसी भी परिस्थिति में बगैर जिलाधिकारी के अनुमति के सूर्यास्त के उपरांत नहीं किया जा सकता था परंतु इस माफिया गिरोह द्वारा बे-ख़ौफ़ ढंग से दिन-रात नियम विरुद्ध ढंग से जहाज परिचालन किया जा रहा था। जहाज़ पर सवार ट्रक हमेशा अपनी क्षमता से दोगुना खनिज लेकर गंगा पार किया करते थे।
  2. नदी से निकाला गया एक ट्रक 14 चक्का है तथा एक 16 चक्का ऐसा तब जब 14 तथा 16 चक्के के वाहन के परिचालन सम्पूर्ण बिहार में निषिद्ध है।
  3. पानी से निकाले गए दोनों ट्रकों के पंजीकरण संख्या (registration number को इंटरनेट पर अवलोकन किया जा सकता है कि वास्तव में इन ट्रकों द्वारा रॉयल्टी तथा जी०एस०टी० का भुगतान किया गया था कि नहीं ?

मुख्यमंत्री जी, आप भी अवगत होंगे कि घटना 24-25 की मध्य रात्रि तक्रीबन 00:20 पूर्वाह्न की है किंतु मनिहारी पुलिस द्वारा प्राथमिकी 26 तारीख़ को अंकित की गई है तथा प्राथमिकी एक मृत व्यक्ति के पिता के बयान पर अंकित की गई है। ये एक ऐसे व्यक्ति हैं जो स्वयं घटनास्थल पर थे ही नहीं तथा उन्हें बजाय इसके कि उनका पुत्र जहाज दुर्घटना का शिकार हो गया है और कोई जानकारी नहीं थी। यह बात विचारणीय है कि अगर पुलिस को प्राथमिकी ही अंकित करना था तो वह किसी प्रत्यक्षदर्शी के बयान पर भली-भाँति कर सकती थी, या अगर कोई प्रत्यक्षदर्शी पुलिस के समक्ष आने से डर रहा था तो पुलिस स्वविवेक से भी घटना की जानकारी मिलने के उपरांत एफ० आई० आर० पंजीकृत कर सकती थी किंतु ऐसा नहीं किया गया है। सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि प्राथमिकी में जहाज़ चालक को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है जबकि जहाज़ चालक तो एक सुनियोजित ढंग से कार्य कर रहे माफिया सिंडिकेट के इशारों पर कार्य कर रहा एक कठपुतली मात्र है।

एक प्रत्यक्षदर्शी द्वारा इस आपराधिक कृत्य से सम्बंधित आवेदन मनिहारी थाना सहित बिहार प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को E-mail के द्वारा प्रेषित किया गया है, जिसकी प्रति मुझे भी प्राप्त है और इस पत्र के साथ संलग्न भी कर रहा हूँ। इस आवेदन को एफ०आई०आर० के रूप में अंकित करना ही उचित होगा क्योंकि प्रत्यक्षदर्शी एवं भुक्तभोगी जुगेश सहनी द्वारा मनिहारी थाने में दिए गए आवेदन में घटना की सबसे वास्तविक विवरणी है।

मुख्यमंत्री जी, उपरोक्त वर्णित तथ्यों से यह बात पूरी तरह साफ़ हो गई है कि इस अपराधिक कृत्य में साहिबगंज तथा मनिहारी के शीर्ष अधिकारी पूर्ण रूप से सम्मिलित हैं तथा उनके मातहत कार्य कर रहे पुलिस अधिकारियों से निष्पक्ष जाँच की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इस आपराधिक कृत्य में जान और माल तथा सरकारी राजस्व की व्यापक क्षति हुई है जिसका सही आँकलन सी०बी०आई० जैसी निष्पक्ष एजेन्सी ही कर सकती है। उपरोक्त संदर्भ में आपसे सादर निवेदन है कि इस मामले की जांच सी०बी०आई० को हस्तांतरित कर दी जाय जिससे कि व्यापक जान-माल की क्षति का सही आकलन हो सके तथा दोषियों पर विधि सम्मत कड़ी सजा मिल सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके साथ ही साथ भविष्य में कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना करने का दुस्साहस न कर सके।

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