झारखण्ड उलगुलान संघ ने सीएनटी के115 वीं वर्षगांठ पर पर कहा- झारखण्ड गठन के बाद से जमीन की लूट में जबरदस्त हुई है वृध्दि

खूंटी: झारखण्ड उलगुलान संघ के तत्वावधान में शनिवार को छोटानागपूर काश्तकारी अधिनियम – 1908 के 115 वीं वर्षगांठ के अवसर पर कचहरी मैदान में स्थापित शताब्दी शिलालेख का पारम्परिक रूप से दिरी-चपी कार्यक्रम विभिन्न गांव के पाहनों द्वारा संयुक्त रूप किया गया। तत्पश्चात वीर शहीद बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर ग्राम मुंडाओं की अगुवाई में माल्यार्पण किया गया।
पड़हा राजा, ग्राम मुंडाओं एवं पाहनों के अगुवाई में हजारों ग्रामीण पैदल मार्च करते हुए समाहरणालय के समक्ष पहुंच कर धरना में परिवर्तित हो गया। धरना को सम्बोधित करते हुए संयोजक अलेस्टेयर बोदरा ने कहा कि झारखण्ड राज्य गठन के बाद से जमीन की लूट में जबरदस्त वृध्दि हुई है और इस लूट को सरकार का भी मौन समर्थन मिला हुआ है। यही कारण है कि आज तक पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाया गया आदिवासी-मूलवासी विरोधी भूमि बैंक नीति को अब तक रद्द नहीं किया गया है। पिछले झारखण्ड विधान सभा चुनाव के समय झामुमो ने वादा किया था कि अगर हमारी सरकार बनती है तो भूमि बैंक नीति को रद्द किया जाएगा। परन्तु आज तक भूमि बैंक नीति को रद्द नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, भू-दस्तावेजों के ऑनलाइन में त्रुटि के पीछे भी सरकार की सोची समझी साजिश है। भू-दस्तावेजों के ऑनलाइन होने से जमीन्दारी उन्मूलन के दायरे की जमीन पर उनके वंशजों द्वारा दावा किया जा रहा है और ग्रामीणों पर दबाव बनाया जा रहा है।
इस तरह के अनेकों नीति नियम सरकार द्वारा बनाया जा रहा है जिससे सी. एन. टी एक्ट के तहत प्राप्त अधिकार प्रभावित हो रहा है। खतियान पार्ट टू में उल्लेखित जमीन और जंगल के सामुदायिक अधिकार के अनुरूप नीति नियम का निर्माण होना चाहिए और आदिवासी हित का जो भी संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधान हैं उसके ठोस अनुपालन का पहल सरकार द्वारा किया जाना चाहिए, तभी सही मायने में झारखण्ड अलग राज्य का सपना पूरा हो पाएगा।
धरना के बाद माननीय राज्यपाल महोदय को प्रेषित स्मार-पत्र श्रीमान उपायुक्त, खूँटी की अनुपस्थिति में उनके कार्यालय को सौंपा गया।
धरना कार्यक्रम को विजय गुड़िया, जोन जुरसन गुड़िया, कुलन पतरस आईंद, मसीहदास गुड़िया, बेनेदिक्त नवरंगी, अमृत गुड़िया, फूलचन्द टूटी, बैजनाथ पाहन, अबिसालोम सोय, किशोर आईंद, बरनाबास सोय, जोसफिना आईंद एवं गब्रिएल मुंडू आदि ने सम्बोधित किया।

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