गरीबी का दंश झेल रहा झारखंड, प्रदेश की 46 फीसदी आबादी गरीब, चतरा और पाकुड़ में 60 फीसदी से अधिक हैं गरीब
रांचीः फाइनांशियल क्राइसिस के साथ झारखंड गरीबी का दंश भी झेल रहा है। झारखंड में लगभग आधी आबादी यानि 46.16 फीसदी लोग गरीब है। । राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 50.93 फीसदी लोग गरीब हैं। जबकि शहर में गरीबों का प्रतिशत 15.20 फीसदी है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक में झारखंड को 0.202 अंक मिला है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र का 0.246 एवं शहरी क्षेत्र को 0.067 अंक प्राप्त हुआ है।
चतरा सबसे अधिक 60.74 फीसदी गरीब
झारखंड के चतरा में सबसे अधिक गरीब है। यहां की आधी से अधिक आबादी गरीब है। आंकड़ों के अनुसार यहां 60.74 फीसदी लोग गरीब हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर पाकुड़ है। पाकुड़ में कुल आबादी का 60.66 फीसदी लोग गरीब है। पश्चिमी सिंहभूम में कुल आबादी का 57.60 फीसदी लोग गरीब हैं। साहेबगंज में 55.93 फीसदी और गढ़वा में 53.26 फीसदी लोग गरीब हैं। वहीं पूर्वीं सिंहभूम में सबसे कम गरीबी है। यहां कुल आबादी का 23.99 फीसदी लोग गरीब है। राजधानी रांची में 27.7 फीसदी लोग गरीब हैं। इस तरह राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक के अनुसार राज्य में 46.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं
देश में सबसे कम गरीबी केरल में
देश के सबसे कम गरीबी केरल के अलावा गोवा, सिक्किम, तमिलनाडु और पंजाब में है। केरल में सिर्फ 0.71 फीसदी लोग ही गरीब है। गोवा में 3.76 फीसदी लोग गरीब हैं। सिक्किम में 3.82, तमिलनाडु में 4.89 फीसदी और पंजाब में 5.59 फीसदी आबादी गरीब है।
झारखंड के किसान भी है गरीब
राज्य सरकार के लाख प्रयासों के वाबजूद किसानों की आमदनी में वृद्धि नहीं हो पाई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार किसानों की कुल आमदनी में फसल से होनेवाली आमदनी सिर्फ 1,102 रुपये है। मजदूरी में मासिक 2,783 रुपये मिलते हैं। लीज पर खेती से 24 रुपये की आमदनी होती है। पशुधन से 827 रुपये व गैर कृषि कार्य से 158 रुपये की आमदनी होती है। इस तरह किसानों की कुल आमदनी प्रति माह सिर्फ 4,895 रुपये ही है. बताते चलें कि ग्रामीण भारत में किसानों की स्थिति का सर्वेक्षण में आकलन करने के लिए आर्थिक पहलुओं को शामिल किया गया. इसमें जमीन, मजदूरी, लीज पर खेती, फसल के अलावा दूसरे काम से होनेवाली आमदनी शामिल की गयी