जदयू विधायक नहीं जाएं घर…ये आरसीपी इफ़ेक्ट है या बीजेपी का डर…

गणादेश ब्यूरो
पटना : 27 को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक है,फिर आगे राज्यसभा चुनाव का आरसीपी फैक्टर है। बिहार खासकर जदयू के लिए यह सियासी अग्निपथ है। ऐसा जाल बिछाया गया है कि राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार भी परेशान हो उठे हैं। इतने परेशान कि आधिकारिक तौर पर तो नहीं लेकिन पार्टी विधायकों को 27 तक घर ( गृह क्षेत्र) नहीं जाने कह दिया गया है।
जदयू के कई नेता ऑफ द रिकॉर्ड बहुत कुछ कह रहे हैं। लब्बोलुआब ये कि आरसीपी बीजेपी के इशारे पर पार्टी तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें कितनी सच्चाई है,यह तो तब स्पष्ट हो पायेगा,जब आरसीपी फाइनली बेटिकट होकर मंत्री पद गंवा देंगे।

क्यों महत्वपूर्ण हैं ये तीन दिन…

24,25 और 26 मई का दिन बिहार की राजनीति और सरकार के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि 27 को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक है,जिससे पहले जदयू विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा सकती है। ताकि जातीय जनगणना पर आम राय नहीं बनाई जा सके और आरसीपी को राज्यसभा भेजकर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने चुनौती पेश की जा सके।

दरअसल जातीय जनगणना तो एक बहाना है। कई महीने से ऐसी खबर आ रही थी कि मंत्री आरसीपी सिंह बीजेपी के संपर्क में हैं और कई समर्थक विधायकों का मन टटोल रहे हैं।
इस बीच जातीय जनगणना के बहाने नीतीश और तेजस्वी की नजदीकी जिस कदर बढ़ रही है उससे बीजेपी तो चिढ़ ही रही है,जेडीयू के भीतरखाने से भी नाराजगी की खबर आ रही है।

अब जब लगभग स्पष्ट है कि नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा नहीं भेजना चाहते हैं। तो ऐसी स्थिति में नाराज आरसीपी राज्यसभा और मंत्री पद के मोह में आसानी से पिच छोड़ने को तैयार नहीं बताए जाते हैं। राजद के कई नेता तो पहले से ऑन रिकॉर्ड भी यह कह रहे हैं कि अगर पूर्व नौकरशाह का पत्ता कटता है तो वो वह भाजपा के समर्थन से जदयू को तोड़ सकते हैं। वो अपने खेमे के विधायकों के साथ अलग जा सकते हैं।

इन सियासी विरोधाभासों के बीच नीतीश कुमार मंगलवार को राजगीर जाएंगे। कहा जाता है कि जब-जब नीतीश राजगीर दौरे पर जाते हैं कुछ न कुछ राजनीतिक भूचाल आता है। 2017 में भी जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने वाले थे, उसके ठीक पहले वह कुछ दिनों के लिए राजगीर चले गए थे। राजगीर से वापस आने के बाद उन्होंने महागठबंधन को छोड़ने का फैसला लिया था।

खैर,राजनीति और क्रिकेट अनिश्चितता का ही खेल है, सो जदयू के ललन समेत बड़े नेता किसी भी डैमेज से पहले अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं।

इस पूरे मसले पर बीजेपी के कोई भी नेता कुछ नहीं बोल रहे। उनका कहना है कि ये जदयू का मामला है। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा नेता इतना जरूर कहते हैं कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है।यह सरकार पूरे 5 वर्ष चलेगी और नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे।

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