व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाने के लिए मांगी जाए सूचना: हिमांशु शेखर चौधरी

रांची: आरटीआई कानून के अधिनियमन के 20 वर्ष पूर्ण होने पर रांची प्रेस क्लब में संयोजक विनोद जैन बेगवानी और रेणुका तिवारी के संयोजन में आरटीआई वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भूतपूर्व सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने भाग लिया और विख्यात आरटीआई एक्टिविस्ट एवं रिसोर्स पर्सन दीपेश निराला ने झारखंड के विभिन्न जिलों से आए आरटीआई एक्टिविस्टों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और इसके अंतर्गत बने नियमावली की बारीक जानकारियों और ड्राफ्टिंग से अवगत कराया, साथ ही बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 एक एविडेंस कलेक्शन टूल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, जिसके तहत सर्टिफाइड कॉपी प्राप्त कर उस सूचना का प्रयोग कई प्राधिकारों के सामने किया जा रहा है, लेकिन झारखंड में 8 मई 2020 के बाद विगत 5 वर्षों से कोई भी सूचना आयुक्त कार्यरत नहीं है, क्योंकि इनकी नियुक्ति नहीं हुई है, जिस कारण वर्तमान में झारखंड राज्य सूचना आयोग के समक्ष 25000 से अधिक द्वितीय अपीलवाद और शिकायतवाद लंबित हो गया है, जिससे आरटीआई की मूल भावना प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता प्रभावित हो रही है, और लालफीताशाही पर अंकुश नहीं लग पा रहा है, जिस कारण विभिन्न विभागों के जन सूचना पदाधिकारी पूर्ण सूचना नहीं दे रहे हैं और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी भी सूचना नहीं दिलवा पा रहे हैं।
इस पर उक्त वर्कशॉप में उपस्थित आरटीआई एक्टिविस्टों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि उक्त संबंध में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को एक ज्ञापन दिया जाएगा ताकि तत्काल मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति झारखंड में हो, और इस नियुक्ति में भूतपूर्व प्रशासनिक पदाधिकारियों को दूर रखा जाय, क्योंकि उनके अधीनस्थ और उनके साथ कार्यरत रहे लोग ही विभिन्न विभागों में जन सूचना पदाधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी बने हुए हैं, और विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले समाज में प्रख्यात गैर-नौकरशाह को ही सूचना आयुक्त बनाया जाय।
मुख्य अतिथि हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा कि सूचना अधिकार को जानने से पहले अधिकार को जानना होगा कि कैसे भारत ने आजादी पाई और उस संघर्ष और धैर्य को भी पहचाने की जरूरत है। आरटीआई के उपयोग और दुरुपयोग में भी चिंता करने की जरूरत है, क्योंकि सूचना आयोग में कार्यरत रहने के दौरान हमने देखा कि अधिकतर सूचना आवेदन व्यक्तिगत मामले से रिलेटेड रहते हैं और सामाजिक सरोकारों से रिलेटेड मामले बहुत ही कम रहते हैं, जरूरत है इस कानून को एक आंदोलन का शक्ल देने की और राज्य के युवाओं को आरटीआई में प्रशिक्षित करने की, ताकि यह आंदोलन घर-घर तक पहुंचे।

उक्त वर्कशॉप में सहसंयोजक हरीश नागपाल, राजकुमार, उमा शंकर सिंह, संतोष मृदुला, स्वरूप कुमार सेठी, शाहिद आलम, सुशील शर्मा, दुमका से राजकुमार उपाध्याय, गढ़वा से पवन कुमार केसरी, रामगढ़ से पुतुल कुमार सिंह और के. चंदन, चतरा से बिनय कुमार रजक, पाकुड़ से अमित कुमार दास, लोहरदगा से शकील अख्तर और प्रदीप राणा, गिरिडीह से नीरज कुमार निराला, चंद्रदेव कुमार बरनवाल, राजेश सहाय, अखौरी प्रशांत कुमार, सुनील महतो, संतोष कुमार, मनोज कुमार महतो, उमेश कुमार महतो, पलामू से जयप्रकाश अग्रवाल, प्रिय व्रत प्रसाद, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर से नम्मी शेषाद्री और आसमा आरा शेख, खूंटी से संतोष कुमार कर, मार्शल बारला, अजीत कुमार महतो, राहुल कुमार, धनबाद से अमरेश कुमार, लातेहार से रंजीत कुमार महतो, बोकारो से जे एम रंगीला और प्रदीप कुमार, गुमला से राहुल शेखर, हजारीबाग से रंजीत कुमार पांडेय, सरायकेला खरसावां से अनूप श्रीवास्तव, प्रकाश महतो, पश्चिमी सिंहभूम से निशा देवी और रश्मि साहू सहित रांची से आशीष कुमार जायसवाल,संतोष कुमार सिंह,अजित प्रसाद,वेद प्रकाश साव,जूही कुमारी चौधरी, विरेन्द्र नागदुआवर, आनंद कुमार लाल,बजरंग लाल चौधरी,संदीप कुमार सिंह,चंद्र प्रकाश जैन,अंकित अग्रवाल,दीनबंधु कुमार,रवि शंकर मिश्रा, शेखर कुमार, सुरेंद्र प्रसाद शर्मा,दिलीप कुमार जैन,अमित चौधरी,
पप्पू कुमार,मोहन प्रसाद वर्मा,
ओम प्रकाश उपाध्याय, सुकल्यान साहा,ऊषा अग्रवाल,अरुण कुमार तिवारी, समीर कुमार, बिस्वा सागर, शिवानंद काशी,निर्मला कुमारी ऋषभ,आशीष कुमार चौरसिया,विनायक पोद्दार,शिव दयाल चौधरी,शांभवी श्रोत्रिया, सिद्धार्थ गौतम,ब्रिज मोहन ओझा,अरुण सिन्हा,नाजिया रशीद,अरविंद कुमार मिश्रा,प्रवीण कुमार मिश्रा,कुमार विवेक रंजन, अनिल कुमार,हितेंद्र कुमार,
अंकित अग्रवाल,पंकज कुमार,कुमार निशांत,अनूप कुमार,जितेंद्र कुमार शर्मा, मीना कुमारी, नवल किशोर लाल, इत्यादि 19 जिलों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।
मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन रेणुका चौधरी ने किया।

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