आदिवासी महोत्सव में जनजातीय लजीज व्यंजनों का आम और खास, दोनों ने लिया स्वाद..
रांची: जेल चौक स्थित बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव में झारखंड सहित देश के अलग अलग राज्यों से आए जनजातीय के द्वारा लजीज व्यंजनों का स्टॉल लगाया था।
इसमें नॉन भेज और भेज के एक से बढ़कर एक आइटम को परोसा गया था। झारखंड का धुसका,पत्ता चिकने,घोंघा मटन,पोर्ट कलेजी,पोंगल,बेंबो चिकेज,लखतो,गुलगुला,मडुवा का लड्डू,मडुवा का रोटी,चावल का छिलका सहित कई जनजातीय व्यंजनों को परोसा गया था।
जनजातीय व्यंजनों का स्वाद लेने झारखंड के अलग अलग जिले के अलावा अन्य राज्यों के भी ट्राईवल और नॉन ट्राईवल महिला एवम पुरुष पहुंचे हुए थे। लजीज व्यंजनों का आम और खास,दोनों ने स्वाद चखा। बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में जहां एक ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम से आदिवासी जीवन दर्शन को समझने का मौक़ा मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसी उद्यान में परिचर्चा के माध्यम से देश के कोने कोने से आये ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञों से जनजातीय भाषाओं, संस्कृति और परंपराओं सहित जनजातीय साहित्य, इतिहास, जनजातीय दर्शन के महत्व के बारे में जानकारी मिल रही है। ट्राइबल लिट्रेचर सेमिनार के पहले दिन आदिवासी साहित्य में कथा और कथेतर विधाओं का वर्तमान परिदृश्य के बारे में चर्चा की गई।
वहीं जेएसएलपीएस के सीईओ सूरज कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने भी जनजातीय व्यंजनों का स्वाद चखा। मौके पर उन्होंने सबसे पहले विश्व आदिवासी महोत्सव पर पूरे झारखंड के लोगों को शुभकामनाएं दिया। साथ ही कहा कि जेएसएलपीएस से जुड़ी बहनों के द्वारा तैयार घरेलू उत्पाद को पलाश के माध्यम से उनको बाजार दिया जाता है। इस महोत्सव में उन प्रॉडक्ट को स्टॉल पर रखा गया है। ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को समृद्ध बनाने में जेएसएलपीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जेएसएलपीएस के सीईओ ने महोत्सव में अन्य स्टालों का भी निरीक्षण किया।
महोत्सव गुरुवार की देर शाम समापन हो जायेगा।