मेडिकल और इंजीनियरिंग के नाम पर कोचिंग संस्थान शिक्षा व्यवस्था को दीमक की तरफ खोखला कर रही है
रांची: पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने झारखंड की मैट्रिक और इंटर में गिरती हुई शिक्षण व्यवस्था और बच्चों के मध्य व्याप्त घोर निराशा पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि झारखंड में मैट्रिक और इंटर के शिक्षण व्यवस्था में हुए गुणात्मक ह्रास, बच्चों के स्कूल न जाने और नॉन स्कूलिंग शिक्षण व्यवस्था और कोचिंग के दुष्प्रभाव पर जल्द से जल्द संज्ञान ले झारखंड सरकार अन्यथा पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। झारखंड की शिक्षण व्यवस्था और बच्चों में व्याप्त होगी घोर निराशा की प्रवृत्ति।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद झारखंड में स्कूली बच्चों को मूल पढ़ाई से दूर कर रहे हैं, झारखंड के व्यावसायिक कोचिंग संस्थान। यह बच्चों को ऐसा सब्जबाग दिखाते हैं जिस कारण से बच्चे कोचिंग के जाल में फंसते जा रहे हैं।
कोई एक बच्चा यदि मेडिकल या इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सफल होता है तो झारखंड के अनेक कोचिंग इंस्टिट्यूट उस बच्चों पर यह दावा करते हैं कि उन्होंने ही अपने कोचिंग संस्थान में गुणात्मक शिक्षा दी है तभी बच्चा कंप्लीट किया है और इस तरह के सब्जबाग दिखा कर बच्चों और अभिभावक को विद्यालय की पढ़ाई से विमुख करते हैं जिसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है।
और यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बच्चों को स्कूल से जुड़ने की हिमायत की है और इन कोचिंगों पर सरकार को ध्यान देने को कहा है।
अब समय आ गया है कि झारखंड में सरकार इन कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने का कार्य करे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करें अन्यथा ध्वस्त हो जाएगी झारखंड की पूरी शिक्षण व्यवस्था, अंधकार के गर्त में चलते चले जाएंगे यह बच्चे और उनका भविष्य।
स्कूल बच्चों का सर्वांगीण विकास करता है जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उसके ऑलराउंडर डेवलपमेंट पर ध्यान देते हुए उन्हे राष्ट्र के लिए योग्य नागरिक बनने को प्रेरित करती है वहीं दूसरी ओर बच्चों को झूठे सपने दिखा कर बच्चों और अभिभावकों को लूटने का काम कर रहे हैं ये कोचिंग संस्थान।
अब सरकार शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जल्द से जल्द इस मामले पर संज्ञान ले।